
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं से अगले साल प्रभावित हो सकता है देश का निर्यात भारत का निर्यात भले ही वित्त वर्ष 2021-22 में 422 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर को छू गया हो, लेकिन प्रमुख पश्चिमी बाजारों में ‘मंदी’ और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भू-राजनीतिक संकट की छाया अगले साल यानी 2023 में देश के निर्यात को प्रभावित कर सकती है। राजनीतिक स्थिरता, माल की आवाजाही, कंटेनरों और शिपिंग लाइनों की पर्याप्त उपलब्धता, मांग, स्थिर मुद्रा और सुचारू बैंकिंग प्रणाली जैसे सभी वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने वाले कारक अब बिखर रहे हैं। संकट को बढ़ाते हुए, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों में कोविड महामारी के मामले फिर से बढ़ने लगे हैं। इससे पहले कि कोविड-प्रभावित वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट से बाहर आ पाती, फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रकोप ने दुनियाभर में आपूर्ति श्रृंखला को गंभीर रूप से बाधित कर दिया और वैश्विक वस्तुओं की कीमतों को बढ़ा दिया। युद्ध ने महत्वपूर्ण काला सागर मार्ग से माल की आवाजाही को भी प्रभावित किया। बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने अनुमान लगाया है कि वर्ष 2023 में वैश्विक व्यापार में केवल एक प्रतिशत की वृद्धि होगी। जिनेवा स्थित बहुपक्षीय व्यापार निकाय ने कहा है कि विश्व व्यापार में वर्ष 2022 की दूसरी छमाही में गति कम होने और वर्ष 2023 में कमजोर रहने की उम्मीद है, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कई झटके लगे हैं।
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