Google ने CCI के आदेश पर अंतरिम राहत नहीं मिलने पर उच्चतम न्यायालय से लगाई गुहार
Business Google ने CCI के आदेश पर अंतरिम राहत नहीं मिलने पर उच्चतम न्यायालय से लगाई गुहार

Google ने CCI के आदेश पर अंतरिम राहत नहीं मिलने पर उच्चतम न्यायालय से लगाई गुहार दिग्गज वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनी गूगल ने एंड्रॉयड मोबाइल पारिस्थितिकी में अपने वर्चस्व के दुरुपयोग पर आए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी के समक्ष दायर अपील पर सुनवाई करने में देरी को आधार बनाते हुए उच्चतम न्यायालय से राहत की गुहार लगाई है। गूगल ने अपनी याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) उसे अंतरिम राहत देने से इनकार करने के परिणामों का आकलन करने में नाकाम रहा है। कंपनी के मुताबिक, ‘‘अंतरिम राहत नहीं मिलने पर उसे 14-15 वर्षों से कायम यथास्थिति में बदलाव करने होंगे और 19 जनवरी से उसे अपने समूचे कारोबारी मॉडल को भी बदलना होगा।’’ \

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प्रेस के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है उस पर हर मीडिया संस्थान को आत्मचिंतन करना चाहिए
Currentaffairs प्रेस के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है उस पर हर मीडिया संस्थान को आत्मचिंतन करना चाहिए

प्रेस के बारे में सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है उस पर हर मीडिया संस्थान को आत्मचिंतन करना चाहिए उच्चतम न्यायालय ने टीवी समाचार सामग्री पर नियामकीय नियंत्रण की कमी पर अफसोस जताते हुए नफरत फैलाने वाले भाषण को 'बड़ा खतरा' बताया है। देखा जाये तो टीआरपी की प्रतिस्पर्धा में चैनल जिस तरह का कंटेंट परोस रहे हैं उससे हाल के समय में समाज में बड़े विवाद भी खड़े हुए हैं। मगर सरकार के लिए मुश्किल यह है कि जैसे ही वह मीडिया को सुझाव या निर्देश जारी करती है उस पर मीडिया की स्वतंत्रता को बाधित करने का आरोप लग जाता है। ऐसे में अदालत को ही 'स्वतंत्र और संतुलित प्रेस' के लिए कोई कदम उठाना होगा।

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Bihar में जातिगत जनगणना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 20 जनवरी को होगी सुनवाई, CM नीतीश का भी आया बयान
National Bihar में जातिगत जनगणना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 20 जनवरी को होगी सुनवाई, CM नीतीश का भी आया बयान

Bihar में जातिगत जनगणना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 20 जनवरी को होगी सुनवाई, CM नीतीश का भी आया बयान बिहार में जातिगत जनगणना कराई जा रही है जिसको लेकर खूब राजनीति भी हो रही है। बिहार सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है। खबर के मुताबिक इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 20 जनवरी को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए अपनी सहमति जताई है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने के बाद इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। इससे पहले भी बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर एक याचिका दाखिल की गई थी। इस संबंध में यह दूसरी याचिका है।  इसे भी पढ़ें: Bihar में कैबिनेट विस्तार की चर्चा तेज, उपेंद्र कुशवाहा को लेकर बड़ा दांव खेल सकते हैं सीएम नीतीश

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Brazil में बोल्सोनारो के समर्थकों ने उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रपति भवन पर बोला धावा
International Brazil में बोल्सोनारो के समर्थकों ने उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रपति भवन पर बोला धावा

Brazil में बोल्सोनारो के समर्थकों ने उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रपति भवन पर बोला धावा रियो डी जिनेरियो। ब्राजील के पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के समर्थकों ने रविवार को राजधानी में उच्चतम न्यायालय, राष्ट्रपति भवन और अन्य स्थान पर धावा बोला। राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा के कार्यभार संभालने के एक सप्ताह बाद बोल्सोनारो के समर्थकों ने यह हरकत की। बोल्सोनारो ने उनके खिलाफ आए चुनावी नतीजों को मानने से इनकार दिया था, तभी से उनके समर्थक प्रदर्शन कर रहे हैं। हजारों प्रदर्शनकारियों ने अवरोधक को पार कर सुरक्षा घेरा तोड़ों,छतों पर चढ़ गए, खिड़कियां तोड़ दीं और तीन इमारतों पर धावा बोला।इनमें से कई चुनाव परिणाम स्वीकार करने से इनकार करते हुए सशस्त्र बलों से इसमें हस्तक्षेप करने और बोल्सोनारो को दोबारा राष्ट्रपति बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। साओ पाउलो में एक संवाददाता सम्मेलन में लूला डा सिल्वा ने कहा कि बोल्सनारो ने उन लोगों को विद्रोह करने के लिए प्रोत्साहित किया। सिल्वा ने उन लोगों को ‘‘फासीवादी कट्टरपंथी’’ करार दिया। उन्होंने संघीय जिले में सुरक्षा का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए संघीय सरकार का एक आदेश भी पढ़ा। लूला डा सिल्वा ने कहा, ‘‘ पहले कभी ऐसा नहीं हुआ और इन लोगों को दंडित किए जाने की जरूरत है।’’ टीवी चैनल ‘ग्लोबो न्यूज़’ पर प्रसारित फुटेज में प्रदर्शनकारी राष्ट्रीय ध्वज को प्रतिबिंबित करने वाले हरे व पीले रंग के कपड़े पहने हुए नजर आ रहे हैं, जो देश के रूढ़िवादी आंदोलन का प्रतीक बन गए हैं। अक्सर बोल्सनारो के समर्थक इसी रंग के कपड़े पहने नजर आए हैं। पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो की कई बार उच्चतम न्यायालय के साथ तनातनी हुई है और जिस कमरे में वे बैठक करते हैं वहां भी दंगाइयों ने तोड़फोड़ की। उन्होंने कांग्रेस भवन में आगजनी और राष्ट्रपति भवन में कार्यालयों में तोड़फोड़ की। सभी भवनों के शीशे भी टूटे नजर आए। लूला डा सिल्वा के कार्यभार संभालने से पहले ही फ्लोरिडा चले गए बोल्सोनारो ने रविवार की घटनाओं पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। पुलिस ने इमारतों का नियंत्रण वापस लेने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। हमला करने के करीब चार घंटे से कम समय में स्थानीय समयानुसार शाम साढ़े छह बजे सुरक्षा बल प्रदर्शनकारियों को खदेड़ते नजर आए। हालांकि तब तक काफी नुकसान हो चुका था, जिससे पुलिस की कार्रवाई व लापरवाहियों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लूला डा सिल्वा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ अयोग्यता या गलत मंशा?

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भाकपा ने कहा कि नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के अल्पमत के फैसले को उजागर करने की जरूरत है
National भाकपा ने कहा कि नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के अल्पमत के फैसले को उजागर करने की जरूरत है

भाकपा ने कहा कि नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के अल्पमत के फैसले को उजागर करने की जरूरत है भाकपा महासचिव डी.

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सीतारमण ने कहा कि नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है
Business सीतारमण ने कहा कि नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है

सीतारमण ने कहा कि नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी को सही ठहराने वाले उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। सीतारमण ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद अपने कई ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, माननीय उच्चतम न्यायालय के नोटबंदी पर आए फैसले का स्वागत है। संविधान पीठ ने मामले पर सावधानीपूर्वक गौर करने के बाद 4:1 के बहुमत से दिए अपने फैसले में नोटबंदी को सही ठहराया है। इसके साथ ही इससे जुड़ी कई याचिकाओं को निरस्त कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को 500 और 1,000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की अचानक घोषणा कर दी थी। सरकार ने काले धन पर लगाम लगाने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने को इस अप्रत्याशित निर्णय का उद्देश्य बताया था। वित्त मंत्री ने अपने ट्वीट में न्यायालय के फैसले का उल्लेख करते हुए कहा, इस बारे में सरकार और रिजर्व बैंक के बीच छह महीने तक परामर्श चला था। इस तरह का कदम उठाने का वाजिब कारण है और यह आनुपातिक परीक्षण पर खरा उतरता है। केंद्र का प्रस्ताव होने भर से निर्णय-निर्माण प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि बहुमत के निर्णय से असहमति जताने वाले न्यायाधीश ने भी नोटबंदी के कदम को एक अच्छी नीयत से उठाया गया एक सुविचारित कदम माना है।

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वॉलीबॉल टीमों का चयन: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी किया
Sports वॉलीबॉल टीमों का चयन: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी किया

वॉलीबॉल टीमों का चयन: उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को नोटिस जारी किया उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा है जिसमें कहा गया था कि भारतीय वॉलीबॉल महासंघ (वीएफआई) राज्यों की टीम का चयन कर उन्हें गुजरात में हुए राष्ट्रीय खेलों के लिए भेज सकता था। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने युवा मामलों और खेल मंत्रालय, वीएफआई और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी करें, छह सप्ताह में लौटाया जा सकता है।’’ गुजरात में 29 सितंबर से 12 अक्टूबर तक राष्ट्रीय खेलों का आयोजन किया गया। उच्चतम न्यायालय तमिलनाडु राज्य वॉलीबॉल संघ (टीएनएसवीए) द्वारा मद्रास उच्च न्यायालय के सात अक्टूबर 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें जिसमें कहा गया था कि वीएफआई राज्यों से टीम का चयन करके उन्हें गुजरात में राष्ट्रीय खेलों के लिए भेज सकता है जबकि राज्य संघ स्वतंत्र रूप से टीम को नामित नहीं कर सकता। टीएनएसवीए को पुरुषों और महिलाओं की टीम का चयन करके राष्ट्रीय खेलों के लिए भेजने की अनुमति देने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश को खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि वीएफआई इस खेल का प्रतिनिधित्व करने वाली देश की सर्वोच्च संस्था है। टीएनएसवीए वीएफआई से मान्यता प्राप्त है और इसे तमिलनाडु राज्य ओलंपिक संघ तथा तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण से भी मान्यता हासिल है। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने स्पष्ट कर दिया था कि वह केवल वीएफआई के साथ काम करेगा और तमिलनाडु राज्य ओलंपिक संघ ने 31 अगस्त को टीएनएसवीए को लिखे पत्र में यह स्पष्ट कर दिया था।

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Supreme Court का पुलिस अधिकारियों को निर्देश, नैतिक पहरेदारी करने की जरूरत नहीं
National Supreme Court का पुलिस अधिकारियों को निर्देश, नैतिक पहरेदारी करने की जरूरत नहीं

Supreme Court का पुलिस अधिकारियों को निर्देश, नैतिक पहरेदारी करने की जरूरत नहीं नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के एक कांस्टेबल को सेवा से हटाने के अनुशासनात्मक प्राधिकार के आदेश को सही ठहराते हुए कहा है कि पुलिस अधिकारियों को ‘नैतिक पहरेदारी’ करने की जरूरत नहीं है और वे अनुचित लाभ लेने की बात नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने 16 दिसंबर, 2014 के गुजरात उच्च न्यायालय के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सीआईएसएफ कांस्टेबल संतोष कुमार पांडे की याचिका को स्वीकार कर लिया गया था और बर्खास्त किए जाने की तारीख से 50 प्रतिशत पिछले वेतन के साथ उसे सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया गया था। पांडे आईपीसीएल टाउनशिप, वड़ोदरा, गुजरात के ग्रीनबेल्ट क्षेत्र में तैनात था, जहाँ कदाचार के आरोप में 28 अक्टूबर, 2001 को उसके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था। आरोपपत्र के अनुसार, पांडे, 26 अक्टूबर और 27 अक्टूबर, 2001 की दरम्यानी रात लगभग एक बजे जब संबंधित ग्रीनबेल्ट क्षेत्र में ड्यूटी पर तैनात था, तो वहां से महेश बी चौधरी नामक व्यक्ति और उनकी मंगेतर मोटरसाइकिल से गुजरे। पांडे ने उन्हें रोका और पूछताछ की। आरोपों के अनुसार, पांडे ने स्थिति का फायदा उठाया और चौधरी से कहा कि वह उसकी मंगेतर के साथ कुछ समय बिताना चाहता है। आरोपपत्र में कहा गया है कि जब चौधरी ने इस पर आपत्ति जताई तो पांडे ने उनसे कुछ और देने को कहा तथा चौधरी ने अपने हाथ से घड़ी उतारकर उसे दे दी। चौधरी ने अगले दिन इसकी शिकायत की। सीआईएसएफ ने इस पर उसके खिलाफ जांच की और उसे बर्खास्त कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि उसकी राय में उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया तर्क तथ्य और कानून दोनों ही दृष्टि से दोषपूर्ण है। इसने कहा, दंड की मात्रा के सवाल पर, हमें यह देखना होगा कि वर्तमान मामले में तथ्य चौंकाने वाले और परेशान करने वाले हैं।

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गोधरा ट्रेन कांड के दोषी को उच्चतम न्यायालय से मिली जमानत
National गोधरा ट्रेन कांड के दोषी को उच्चतम न्यायालय से मिली जमानत

गोधरा ट्रेन कांड के दोषी को उच्चतम न्यायालय से मिली जमानत उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2002 में गोधरा में ट्रेन कोच को जलाने के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एक दोषी को बृहस्पतिवार को यह कहते हुए जमानत दे दी कि वह पिछले 17 वर्षों से जेल में है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने दोषी फारूक की तरफ से पेश वकील की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि जेल में अब तक बिताई गई अवधि को ध्यान में रखते हुए उसे (फारूक को) जमानत दी जानी चाहिए। वहीं, गुजरात सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह ‘सबसे जघन्य अपराध था’, जिसमें महिलाओं और बच्चों समेत 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था और दोषियों की याचिकाओं पर जल्द से जल्द सुनवाई किए जाने की जरूरत है। फारूक समेत कई अन्य लोगों को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के कोच पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था। मेहता ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आमतौर पर पथराव मामूली प्रकृति का अपराध माना जाता है, लेकिन उक्त मामले में ट्रेन के कोच को अलग किया गया था और यह सुनिश्चित करने के लिए उस पर पथराव किया गया था कि यात्री बाहर न आ सकें।

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नीरव मोदी को प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील की अनुमति नहीं मिली
International नीरव मोदी को प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील की अनुमति नहीं मिली

नीरव मोदी को प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील की अनुमति नहीं मिली भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को बृहस्पतिवार को उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ कानूनी लड़ाई में तब एक और झटका लगा जब लंदन स्थित उच्च न्यायालय ने उसके प्रत्यर्पण आदेश के खिलाफ उसे ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। नीरव मोदी धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए भारत में वांछित है। लंदन में ‘रॉयल कोर्ट्स ऑफ जस्टिस’ में न्यायमूर्ति जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और न्यायमूर्ति रॉबर्ट जे ने फैसला सुनाया कि ‘‘अपीलकर्ता (नीरव मोदी) की उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति के अनुरोध वाली अर्जी खारिज की जाती है।’’ यह फैसला 51 वर्षीय हीरा व्यापारी की अपील दायर करने की दाखिल अर्जी पर भारत सरकार की ओर से ब्रिटेन की ‘क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस’ (सीपीएस)द्वारा जवाब दायर करने के करीब एक सप्ताह बाद आया। उच्च न्यायालय का नवीनतम आदेश नीरव मोदी को नवीनतम अर्जी के संबंध में 150,247.

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नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने चीनी कंपनी के सड़क प्रोजेक्ट पर लगाई रोक, भारतीय कंपनी ने किया है केस
International नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने चीनी कंपनी के सड़क प्रोजेक्ट पर लगाई रोक, भारतीय कंपनी ने किया है केस

नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने चीनी कंपनी के सड़क प्रोजेक्ट पर लगाई रोक, भारतीय कंपनी ने किया है केस चीन की विस्तारवादी नीति से तो हर देश भलि-भांति वाकिफ है। पड़ोसी देशों की जमीन को कब्जाने की उसकी नीति हमेशा से दुनिया के सामने आती रही है। बात चाहे बांग्लादेश की तीस्ता रिवर में जासूसी जहाज तैनात करने की हो या नेपाल के अहम सड़क परियोजनाएं। लेकिन नेपाल की सुप्रीम कोर्ट से चीन को करारा झटका लगा है और उसे भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में भी देखा जा रहा है। दरअसल, नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने चीन के सड़क परियोजना पर रोक लगा दी है। इस प्रोजेक्ट को नेपाल आर्मी की तरफ से चाइना फर्स्ट हाइवे इंजीनियर को दिया गया था। इसे भी पढ़ें: अपनी नाकामियों का ठीकरा अमेरिका के सिर पर फोड़ रहा चीन, व्हाइट हाउस ने कहा- शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार हमेशा करेगा समर्थननेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने नेपाल सेना द्वारा चाइना फर्स्ट हाईवे इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को 1,500 करोड़ से अधिक के सड़क निर्माण के ठेके पर रोक लगा दी और चर्चा के लिए सभी पक्षों को बुलाया है। बोली लगाने वालों में से एक, भारत की एफकॉन्स इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की याचिका पर अदालत का आदेश आया। काठमांडू तराई-मधेश एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए बोली की पारदर्शिता को लेकर चिंताएँ थीं, जिसे नेपाल सेना द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है। परियोजना को संवेदनशील माना जाता है क्योंकि एक हिस्सा भारतीय सीमा के करीब स्थित होगा।इसे भी पढ़ें: चीन में ‘शून्य कोविड नीति’ के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन को मिला अमेरिका का सर्मथन, कहा सबको शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकारचाइना फर्स्ट हाईवे इंजीनियरिंग उन पांच कंपनियों में से नहीं थी जो सितंबर में परियोजना के लिए बोली लगाने के लिए योग्य थी, और इसे सबसे कम बोली लगाने वाले घोषित किए जाने से एक दिन पहले 6 नवंबर को शामिल किया गया था। लोगों ने बताया कि इस दौरान परियोजना को संभालने वाले नेपाल सेना के अधिकारी को भी बदल दिया गया। चीनी पक्ष बांग्लादेश सरकार पर तीस्ता नदी की नौवहन क्षमता में सुधार करने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना में भूमिका के लिए जोर दे रहा है। बांग्लादेश सरकार कुछ समय से इस परियोजना की योजना बना रही है, यहाँ तक कि वह सीमा पार नदी के पानी के बंटवारे पर भारत के साथ लंबे समय से लंबित समझौते के समापन की प्रतीक्षा कर रही है।

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नीरव मोदी ने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति मांगी
International नीरव मोदी ने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति मांगी

नीरव मोदी ने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति मांगी  भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने लंदन उच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर कर अपने भारत प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति मांगी है। लंदन उच्च न्यायालय ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ऋण घोटाले के मामले में करीब दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों का सामना करने के लिए हाल ही में नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया था। नीरव (51) अभी लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है।

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उच्चतम न्यायालय ने उठाया चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल, कहा उनकी फाइल को ‘‘बहुत तेजी से’’ पारित कर दिया गया
National उच्चतम न्यायालय ने उठाया चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल, कहा उनकी फाइल को ‘‘बहुत तेजी से’’ पारित कर दिया गया

उच्चतम न्यायालय ने उठाया चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल, कहा उनकी फाइल को ‘‘बहुत तेजी से’’ पारित कर दिया गया उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयुक्त के तौर पर अरुण गोयल की नियुक्ति के लिए अपनायी प्रक्रिया पर बृहस्पतिवार को सवाल उठाया और कहा कि उनकी फाइल को ‘‘जल्दबाजी’’ में मंजूरी दी गयी। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल को ‘‘बहुत तेजी से’’ पारित कर दिया गया। वहीं, केंद्र ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी के जरिए अदालत से मामले पर विस्तारपूर्वक गौर करने का अनुरोध किया।

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अनजाने में उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन हुआ: इमरान खान
International अनजाने में उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन हुआ: इमरान खान

अनजाने में उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन हुआ: इमरान खान इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि इस साल मई में अपनी पार्टी के लॉन्ग मार्च को उच्च सुरक्षा वाले रेड जोन से सटे इस्लामाबाद के डी-चौक क्षेत्र में प्रवेश करने से रोकने के न्यायालय के आदेश का उनसे अनजाने में उल्लंघन हुआ। शीर्ष अदालत ने 25 मई के अपने आदेश में खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को अपना आजादी मार्चइस्लामाबाद में पेशावर मोड़ के निकट एच-9 और जी-9 क्षेत्रों के बीचआयोजित करने के स्पष्ट निर्देश जारी किए थे। इसे भी पढ़ें: नाइजीरियाई नौसेना ने तेल चोरी के आरोप में विदेशी जहाज पकड़ा, चालक दल में 16 भारतीय भी हालांकि, खान और प्रदर्शनकारी डी-चौक की ओर मुड़ गए थे, जिससे सरकार को राजधानी के रेड जोन की सुरक्षा के लिए सेना बुलानी पड़ी थी। खान ने अपने वकील सलमान अकरम राजा के माध्यम से अदालत की अवमानना ​​मामले में अपना जवाब दाखिल किया, जिसमें कहा गया है कि उन्हें 25 मई के शीर्ष अदालत के आदेश के बारे में सूचित नहीं किया गया था। इसे भी पढ़ें: ब्रिटेन-भारत की नयी वीजा नीति का उद्योग जगत, छात्र समूहों ने स्वागत कियापीटीआई के प्रमुख ने कहा कि जैमर लगे हुए थे, इसलिए संचार में गड़बड़ी के कारण उन्हें अदालत के सटीक निर्देशों से अवगत नहीं कराया गया। खान (70) ने अदालत से कहा, “ अनजाने में सीमा पार करने के लिए खेद है।

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फरवरी में प्लानिंग, नवंबर में इंप्लीमेंटेशन, अचानक लिया गया फैसला नहीं था नोटबंदी, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
National फरवरी में प्लानिंग, नवंबर में इंप्लीमेंटेशन, अचानक लिया गया फैसला नहीं था नोटबंदी, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

फरवरी में प्लानिंग, नवंबर में इंप्लीमेंटेशन, अचानक लिया गया फैसला नहीं था नोटबंदी, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने 2016 में लिए अपने नोटबंदी के फैसले का बचाव किया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 2016 की नोटबंदी एक "

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भाजपा में हुए शामिल उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विकास बंसोडे, सीटी रवि ने दिलाई सदस्यता
National भाजपा में हुए शामिल उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विकास बंसोडे, सीटी रवि ने दिलाई सदस्यता

भाजपा में हुए शामिल उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विकास बंसोडे, सीटी रवि ने दिलाई सदस्यता नयी दिल्ली। विभिन्न राज्यों के राज्यपालों के कानूनी सलाहकार के तौर पर कार्य कर चुके उच्चतम न्यायालय के एक अधिवक्ता रविवार को यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गये। अधिवक्ता विकास बंसोडे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हुए। रवि ने पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि बंसोडे ने कांग्रेस के दिवंगत नेता हंसराज भारद्वाज सहित कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के पूर्व राज्यपालों के कानूनी सलाहकार के रूप में काम किया था।  इसे भी पढ़ें: गुजरात में पहली बार सत्ता में कैसे आई भाजपा, भगवा पार्टी के लिए बना सबसे ताकतवर राजनीतिक गढ़

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नामों को लंबित रखना मंजूर नहीं,  जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार
National नामों को लंबित रखना मंजूर नहीं, जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार

नामों को लंबित रखना मंजूर नहीं, जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र को फटकार सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट आमने सामने हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की सिफारिश के बावजूद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति न करने को लेकर केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र द्वारा नामों को लंबित रखना मंजूर नहीं है। सरकार न तो नामों की नियुक्ति करती है और न ही अपनी आपत्ति के बारे में बताती है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे "

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ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा पुराना मामला, हिंदू पक्ष से तीन हफ्ते में मांगा जवाब
National ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा पुराना मामला, हिंदू पक्ष से तीन हफ्ते में मांगा जवाब

ज्ञानवापी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा पुराना मामला, हिंदू पक्ष से तीन हफ्ते में मांगा जवाब सुप्रीम कोर्ट में आज ज्ञानवापी मामले को लेकर सुनवाई हुई। आज सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में स्थित कथित शिवलिंग को सील रखने के अपने पिछले आदेश को बरकरार रखा है। इसके साथ ही अदालत ने इस मामले से संबंधित सभी पक्षों से 3 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर वाराणसी में कथित 'शिवलिंग' की सुरक्षा के लिए अपने पहले के आदेश को बढ़ा दिया है। इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी विवाद से जुड़े मुकदमे में अपना पक्ष मजबूत बनाने के लिए हिंदू पक्षों को वाराणसी के जिला न्यायाधीश के समक्ष आवेदन करने की भी अनुमति दे दी है। इसे भी पढ़ें: राजीव गांधी के हत्यारों को छोड़ने के SC के फैसले पर कांग्रेस ने कहा, यह अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत

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राजीव गांधी के हत्यारों को छोड़ने के SC के फैसले पर कांग्रेस ने कहा, यह अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत
National राजीव गांधी के हत्यारों को छोड़ने के SC के फैसले पर कांग्रेस ने कहा, यह अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत

राजीव गांधी के हत्यारों को छोड़ने के SC के फैसले पर कांग्रेस ने कहा, यह अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के मामले में जेल में बंद सभी छह दोषियों को आज रिहा करने का आदेश दे दिया। हालांकि, इसको लेकर अब कांग्रेस की ओर से भी प्रतिक्रिया आ गई है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने साफ तौर पर इसे अस्वीकार्य बताया है और कहा कि आप पूरी तरह से गलत है। जयराम रमेश की ओर से जो बयान आया है उसके मुताबिक उन्होंने कहा कि पूर्व पीएम राजीव गांधी के शेष हत्यारों को मुक्त करने का SC का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है। उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया।  इसे भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के सभी दोषियों को जेल से रिहा करने का दिया आदेश

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सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के सभी दोषियों को जेल से रिहा करने का दिया आदेश
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सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या के सभी दोषियों को जेल से रिहा करने का दिया आदेश भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों के सभी छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने दोषियों नलिनी श्रीहर, रॉबर्ट पेस, रविचंद्रन, राजा, श्रीहरन और जयकुमार को रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने आदेश दिया, "

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पिता के बाद पुत्र ने भी संभाली CJI की कुर्सी, डीवाई चंद्रचूड़ बने 50वें प्रधान न्यायाधीश, राष्ट्रपति मुर्मू ने दिलाई शपथ सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के तौर पर जस्टीस धनंजय वाई.

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