विदेशों में बैठकर भारत विरोधी साजिश रचने वाले खालिस्तानियों की अब खैर नहीं है। भारत का सख्त रूख देखकर अब दूसरे देश भी हिन्दुस्तान विरोधी प्रोपोगैंडा चलाने वालों के खिलाफ एक्शन ले रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण ऑस्ट्रेलिया बना है। वहां की सरकार ने भारत विरोधी गतिविधियों पर अब सख्त एक्शन लेने की तैयारी में है। खबर है कि ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में भारत विरोधी साजिशों को लेकर एक बैठक की गई। जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों से इस मामले को लेकर काम करने के लिए कहा गया। दरअसल, भारत लगातार ऑस्ट्रेलिया में चल रही खालिस्तानी मूवमेंट के विस्तार को लेकर शिकायत करता रहा है।
पीएम मोदी भी क्वाड नेताओं की मीटिंग में शामिल होने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाएंगे। एक अधिकारी ने बताया कि कई विरोधी तत्वों के ऑस्ट्रेलिया में घुसकर चलाए जा रहे भारत विरोधी कैंपेन को लेकर चिंतित हैं। ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनेलोपे यिंग येन वोंग और गृह मंत्री क्लेयर ओ नील को वहां के अधिकारियों ने ये जानकारी दी है कि वो लोगों के विचारों रखने की आजादी की इज्जत करते हैं। लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि विचार रखने की आजादी की आड़ में कुछ गलत हो रहा है।
ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी विचाधारा
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले सरदारों के बीच कट्टरपंथ चलाने में कई खालिस्तानी कथित नेताओं का हाथ है। ये सभी नेता इंटरनेट पर अपनी हिंदू-घृणा का प्रदर्शन करते देखे जा सकते हैं। ऑस्ट्रेलिया से पहले भी कई ऐसी वीडियो आई हैं, जिनमें खालिस्तानी युवकों एवं अन्य भारतीयों की मुठभेड़ देखी जा सकती है। इन वीडियोज़ को सहारा बनाकर खालिस्तानी समूहों द्वारा ऑस्ट्रेलिया में यह नैरेटिव गढ़ा गया कि पगड़ी पहने सिखों पर अन्य हिंदुओं (भारतीयों) द्वारा हमले किए जा रहे हैं।
मुद्दा क्यों है अहम ?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वॉड देशों की बैठक में हिस्सा लेने जल्द ऑस्ट्रेलिया जाने वाले हैं। इससे पहले खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को गंभीर मानते हुए भारत ने ऑस्ट्रेलिया को आगाह किया है। भारत सरकार के अधिकारियों ने ऑस्ट्रेलिया में सिख अलगावाद को लेकर वहां की सरकार को आगाह किया है। खालिस्तान का इतिहास ही आतंक से जुड़ा रहा है। अलगाववादी विचारधारा से प्रभावित कई सिख ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका और यूके सहित एंग्लोफोनिक देशों में चले गए। वहां से वे अपने समुदाय के प्रभावशाली युवाओं को खालिस्तान का सपना दिखाकर आतंक की आग में धकेलने का प्रयास कर रहे हैं।
कब फहरे खालिस्तानी झंडे?
19 नवंबर को मेलवर्न में भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में खालिस्तानियों ने झंडे फहराए थे। इस कार्यक्रम को वहां की सरकार ने फंड किया था। ऑस्ट्रेलिया में मौजूद भारतीय अधिकारियों ने इस मामले की कड़ाई से जांच करने की मांग उठाई थी। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने अपने विदेश और गृह मंत्री को इसकी जानकारी दी। उन्हें लग रहा है कि आजादी की आड़ में कुछ गलत हो रहा है।
विवादित पोस्टर
सोशल मीडिया पर कई तरह के विवादित पोस्टर सर्कुलेट हो रहे हैं। इनमें एक पर लिखा है, 'भारतीय हिंदू व्यवस्था को खत्म करने की अंतिम लड़ाई।' पोस्टरों से ऑस्ट्रेलिया में हिंदुओं के खिलाफ नफरत बढ़ने की आशंका है। खालिस्तानी रैली का जो प्लान बना है, उसका रास्ता हिन्दुओं के घरों से गुजरता है।
विदेशों में खालिस्तान का बढ़ता प्रभाव
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के पास पंजाब में आतंकी हमलों में आईएसआई के समर्थन और बब्बर खालसा इंटरनेशनल, खालिस्तान कमांडो फोर्स, खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स, इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन और सिख फॉर जस्टिस जैसे भारत के प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के कई व्यक्तियों के पालन-पोसन के ठोस सबूत हैं। भारत की ओर से लगातार विदेशों में खालिस्तान के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जाहिर की गई है। हाल ही में भारत ने खालिस्तान की मांग के संबंध में कनाडा में तथाकथित जनमत संग्रह की योजना बनाने वाली कुछ ताकतों पर अपनी चिंता दोहराई है। इसके साथ ही भारत की तरफ से वहां स्थित लोगों और समूहों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने का आह्वान किया। भारत ने कनाडा से आग्रह किया है कि वो अपने कानूनों के तहत उन व्यक्तियों और संस्थाओं को आतंकवादी घोषित करे जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है।
Khalistani ideology in australia now the government there will take big action
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