स्वागत नहीं करोगे आप हमारा, आ गए हैं पटना दोबारा, वो पुलिस अधिकारी जिसने बिहार के अंडरवर्ल्ड में मचाया हड़कंप
26 मई 2021 की तारीख, तीन आईपीएस अधिकारी जिन्हें बिहार में सुपरकॉप और अपराधियों के बीच खौफ का नाम माना जाता रहा। मनु महाराज और कुंदन कृष्णा और राजविंदर सिंह भट्टी सेंट्रल डिप्यूटेशन पर चले गए। बिहार सरकार ने की तरफ से उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया। लेकिन एक साल बाद ही बिहार में बदलते हालात के बाद इनमें से एक राजविंदर सिंह भट्टी को बिहार का नया डीजीपी बनाया गया है। नए डीजीपी आरएस भट्टी के बारे में लालू के शब्दों में कहे तो ऐसे पुलिस अधिकारी जो बड़े से बड़े अपराधियों का बिठा देंगे भट्ठा। बिहार के नए डीजीपी आरएस भट्टी से जुड़ी कई कहानियां हैं। बड़े से बड़े अपराधियों को सत्ता से संरक्षण मिलता था उस पर भी हाथ रखने से बाज नहीं आते थे। आज हम आपको उन्हीं में से कुछ कहानियों के बारे में बताएंगे। आरएस भट्टी ने शहाबुद्दीन को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। बात केवल शहाबुद्दीन तक ही सीमित नहीं है। इससे पहले प्रभुनाथ सिंह पर भी भट्टी का कहर टूट चुका है। अशोक सिंह हत्याकांड में प्रभुनाथ सिंह के सजा काटने के पीछे भी उन्हीं की तफ्तीश थी। इससे पहले उन्होंने एएसपी रहते हुए दिलीप सिंह को बंद किया था।
जब भट्टी को लेकर हेलीकॉप्टर में उड़े थे लालू
14 जून 1998 का दिन पूर्णिया के इतिहास का वो काला पन्ना है जो सूबे की सरकार को भी लाल घेरे में घेरती है। 14 जून की दोपहर को ही पूर्णिया शहर से गुजरने वाली गंगा दार्जलिंग पथ पर पूर्णिया सदर के चार बार के विधायक रहे अजीत सरकार को गोलियों से भून दिया जाता है। उस समय अजीत सरकार की लोकप्रियता चरम पर थी। उनकी हत्या की खबर फैलते ही शहर जलने लगा था। सड़कों पर जनसैलाब उमड़ गया था और पुलिस सुरक्षात्मक मुद्रा में आ गई थी। अगले दिन भी यही क्रम जारी रहा और पुलिस असहाय नजर आ रही थी। इस आंदोलन की आग पटना तक पहुंच चुकी थी और सरकार को तीखी आलोचना का सामना करना पड़ रहा था।
पूर्णिया में आक्रोशित लोग उनका शव उठने नहीं दे रहे थे। लगातार बिगड़ते हालात की सूचना मिलने पर उस वक्त के बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के पूर्णिया आगमन का कार्यक्रम तय हुआ। स्थिति को भांपते हुए लालू यादव खुद आईपीएस राजविंदर सिंह भट्टी को लेकर वहां पहुंचे। अजीत सरकार के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण के बाद लालू ने लोगों से शांति की अपील की। इसके साथ ही ये ऐलान किया कि पूर्णिया के एसपी आरएस भट्टी होंगे। लालू ने कहा कि ये ऐसे एसपी होंगे जो बड़े से बड़े अपराधियों का भट्टा बैठा देंगे। पूर्णियां के एसपी की कमान संभालते हुए आरएस भट्टी ने तत्काल अजीत सरकार हत्याकांड की जांच शुरू कर दी। हालांकि जांच अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि सरकार की तरफ से इसका जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया गया था। उस समय भी ये बात सामने आई थी कि आरएसभट्टी ने जिन्हें केंद्र में रखकर अपनी जांच को रफ्तार दी बाद में सीबीआई भी उसी दिशा में आगे बढ़ी।
दिलीप सिंह को किया था गिरफ्तार
मोकामा के बाहुबली विधायक रहे और अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह की गिरफ्तारी भी आरएस भट्टी ने की थी। ये बात 1980 के दशक की है, उस वक्त मध्य बिहार में एक तस्कर हुआ करता था जिसका नाम कामदेव सिंह था। वो हथियारों को छोड़कर हर तरह की तस्करी किया करता था। 90 के दशक में बाढ स्टेशन से सकसौड़ा तक टमटम ही आने जाने के साधन हुआ करते थे। जिसकी वजह थी सड़कों का ना बना होना। दिलीप सिंह के पास कई घोड़ें थे। उन्होंने घोड़े पालकर टमटम चलवाने का काम किया। बाद में कामदेव सिंह का हाथ थाम दिलीप सिंह उनके राइट हैंड बन गए। दिलीप सिंह ने हथियार और जमीन कब्जाने का काम शुरू किया। कामदेव की हत्या के बाद दिलीप सिंह ने उनकी कुर्सी पर कब्जा जमा लिया। ये बिहार का वही दौर था जब बूथ कैप्चरिंग का बोलबाला था। बाद में राजनीति में हाथ आजमाते हुए दिलीप सिंह लालू यादव की तत्कालीन सरकार में मंत्री भी बन गए। लेकिन 1990 के दौर में जब लालू यादव की तूती बोलती थी तो उस दौर में आरएस भट्टी ने दिलीप सिंह को गिरफ्तार कर लिया था। विधानसभा के सत्र के दौरान उन्होंने दिलीप सिंह को सुबह सवेरे गिरप्तार कर लिया और इसकी भनक पटना के एसपी और डीएम तक को नहीं लगने दी। भट्टी के इस कदम से लालू यादव भी सकते में आ गए। हालांकि बाद में दिलीप सिंह जेल से बाहर आ गए। हार्ट अटैक से अक्टूबर 2006 में उनका निधन हो गया।
डॉक्टर पुत्र अपहरण
भट्टी गोपालगंज के पुलिस कप्तान हुआ करते थे। तभी पड़ोस के जिले छपरा में एक डॉक्टर पुत्र का अपहरण हो गया। देखते ही देखते डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। ऐसा करते हुए 11 दिन बीत गए। आखिरकार डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से मिलने के लिए बुलाया गया। लालू प्रसाद भी इस अपहरण कांड को लेकर बेहद परेशान थे। डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता करने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने बड़ा फैसला लिया और केस आरएस भट्टी को सौंपने का निर्णय लिया। लेकिन उस वक्त आरएस भट्टी छुट्टी पर चल रहे थे। भट्टी चंडीगढ़ में थे सीएम ऑफिस ने फोन मिलाया और फिर राज्य सरकार ने विमान भेजा और भट्टी पटना वापस आकर सीधे मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से मिले। भट्टी ने अपना ऑपरेशन शुरू कर दिया। आसपास के पांच-छह जिलों में अपराधियों की सूची ली। हफ्ताभर में अगवा डॉक्टर पुत्र को मिर्जापुर से बरामद कर लिया गया।
शहाबुद्दीन की दिल्ली से गिरफ्तारी
बिहार में 2005 का दूसरा विधानसभा चुनाव हो रहा था। तत्कालीन चुनाव आयुक्त केजे राव ने आरएस भट्टी को सीबीआई से वापस बुलाकर सिवान की कमान सौंप दी थी। हालांकि प्रोन्नति पाकर तब आरएस भट्टी डीआईजी हो गए थे। लेकिन केजे राव ने अहम फैसला लेते हुए सिवान में एसपी के पद को ही शिथिल कर दिया और भट्टी को तैनात कर दिया था। एक नई सब इंस्पेक्टर गौरी के नेतृत्व में टीम गठित कर शहाबुद्दीन को गिरफ्तार करा दिया था। काफी दिनों तक यह मामला बेहद चर्चित रहा।- अभिनय आकाश
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