ट्रैक्टर-ट्राली में यात्री बैठाने पर रोक लगाने का फैसला व्यवहारिक नहीं है उत्तर प्रदेश में उन्नाव में एक ट्रैक्टर−ट्राली पलट जाने से 26 लोगों की मौत हो गई। दस लोग घायल हुए। ये सब एक ट्रैक्टर−ट्राली से मुंडन संस्कार करके लौट रहे थे। घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने ट्रैक्टर-ट्राली और डंपर में बैठकर सफर करने पर रोक लगा दी। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आदेश दिया कि ट्रैक्टर ट्राली−डंपर आदि में सवारी बैठाने के खिलाफ अभियान चलाया जाए। साथ ही ट्रैक्टर, डंपर आदि में सवारी ढोने पर दस हजार रुपया जुर्माना वसूला जाए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ये आदेश सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन यह व्यवहारिक नहीं है। क्योंकि आम किसान और गांव में लोगों के लिए छोटे-मोटे कार्यक्रमों में आने−जाने का सस्ता और सरल परिवहन ट्रैक्टर ट्राली ही है। उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में ग्रामवासी किसान छोटे−मोटे कार्यक्रम, मेले, अंतिम संस्कार में आने−जाने के लिए ट्रैक्टर−ट्राली का ही प्रयोग करते हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार का निर्णय व्यवहारिक नहीं लगता। इस निर्णय से गांव की जनता, किसान और पुलिस में टकराव होगा। विवाद बढ़ेंगे। सरकार के प्रति नाराजगी ही बढ़ेगी। इस दुर्घटना का कारण उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्रैक्टर ट्रॉली में सवारी ढोना मान लिया। जबकि इस घटना का कारण ट्रैक्टर−ट्राली में सवारी ढोना नहीं, बल्कि चालक का शराब पीकर ट्रैक्टर चलाना और ट्रैक्टर–ट्राली दौड़ाना है।
read moreजानिए क्या है CBDC और कैसे होगा आपको इससे फायदा सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency- CBDC) क्या है?
read moreदशहरा पर्व पर क्या है पूजन का शुभ मुहूर्त ?
read moreरावण के पुतले के प्रश्न (व्यंग्य) इस बाहर ग़ज़ब हो गया। दशहरा मैदान पर रावण दहन की सारी झाँकी सज चुकी थी। रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले पूरी तामझाम के साथ अपने नियत स्थान पर खड़े कर दिए गए थे। प्रभुराम, लक्ष्मण और हनुमान की आरती समारोह अध्यक्ष द्वारा करने की औपचारिकता भी पूर्ण हो चुकी थी। लेकिन ये क्या, प्रभु राम ने पहला तीर चलाया और रावण के पुतले ने जोरदार अट्टहास लगाया साथ ही जलने से साफ मना कर दिया। इधर राम जी धनुष पर एक के बाद एक तीर चढ़ा कर रावण के पुतले की ओर छोड़ रहे थे पर रावण का पुतला टस से मस नहीं हो रहा था। जनता ऐसा सीन पहली बार देख रही थी। अब क्या होगा, सोचकर दर्शकों में व्यग्रता बढ़ती जा रही थी। लोगों में खुसुर-पुसुर शुरु हो गई पता नहीं इस बार ये पुतला किसने बनाया। हर बार तो रहीम चाचा बनाते थे। उनके बनाए पुतले तो धनुष पर तीर चढ़ा देखा नहीं कि धू-धू कर जलने लगते थे। होलिका दहन और कंस वध झाँकियों के पुतले भी हमेशा रहीम चच्चा बनाते रहे हैं। होलिका तो चिंगारी देखकर ही जलने लगती थी और कंस भी दो घूँसे खाकर खून का उल्टियाँ करने लगता था।
read moreभगवान राम की विजय और शक्ति पूजा का पर्व है दशहरा दशहरा हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था। इसीलिये इस दशमी को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है। इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं। इस दिन शस्त्र-पूजा की जाती है। इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं। रामलीला का समापन होता है। रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है।
read moreभव्य दशहरा देखना है, तो आएं भारत के इन 6 शहरों में नवरात्रों के 9 दिन के बाद आने वाला दहशरा बड़े धूमधाम से देश के सभी हिस्सों में मनाया जाता है। बता दें कि हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का त्यौहार हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है। इस त्यौहार का सीधा संदेश यह होता है कि असत्य चाहे जितना भी मजबूत क्यों ना हो, लेकिन 'सत्य' की विजय अवश्य होती है।
read moreराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को राजनीतिक चश्मे से देखना सबसे बड़ी भूल है डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन शुभ संकल्प के साथ एक छोटा बीज बोया था, जो आज विशाल वटवृक्ष बन चुका है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक-सामाजिक संगठन के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमारे सामने है। नन्हें कदम से शुरू हुई संघ की यात्रा समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में पहुँची है, न केवल पहुँची है, बल्कि उसने प्रत्येक क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। ऐसे अनेक क्षेत्र हैं, जहाँ संघ की पहुँच न केवल कठिन थी, बल्कि असंभव मानी जाती थी। किंतु, आज उन क्षेत्रों में भी संघ नेतृत्व की भूमिका में है। बीज से वटवृक्ष बनने की संघ की यात्रा आसान कदापि नहीं रही है। 1925 में जिस जमीन पर संघ का बीज बोया गया था, वह उपजाऊ कतई नहीं थी। जिस वातावरण में बीज का अंकुरण होना था, वह भी अनुकूल नहीं था। किंतु, डॉक्टर हेडगेवार को उम्मीद थी कि भले ही जमीन ऊपर से बंजर दिख रही है, परंतु उसके भीतर जीवन है। जब माली अच्छा हो और बीज में जीवटता हो, तो प्रतिकूल वातावरण भी उसके विकास में बाधा नहीं बन पाता है। भारतीय संस्कृति से पोषण पाने के कारण ही अनेक संकटों के बाद भी संघ पूरी जीवटता से आगे बढ़ता रहा। अनेक झंझावातों और तूफानों के बीच अपने कद को ऊंचा करता रहा। अनेक व्यक्तियों, विचारों और संस्थाओं ने संघ को जड़ से उखाड़ फेंकने के प्रयास किए, किंतु उनके सब षड्यंत्र विफल हुए। क्योंकि, संघ की जड़ों के विस्तार को समझने में वह हमेशा भूल करते रहे। आज भी स्थिति कमोबेश वैसी ही है। आज भी अनेक लोग संघ को राजनीतिक चश्मे से ही देखने की कोशिश करते हैं। पिछले 97 बरस में इन लोगों ने अपना चश्मा नहीं बदला है। इसी कारण ये लोग संघ के विराट स्वरूप का दर्शन करने में असमर्थ रहते हैं। जबकि संघ इस लंबी यात्रा में समय के साथ सामंजस्य बैठाता रहा और अपनी यात्रा को दसों दिशाओं में लेकर गया। संघ के स्वयंसेवक एक गीत गाते हैं- ‘दसों दिशाओं में जाएं, दल बादल से छा जाएं, उमड़-घुमड़ कर हर धरती पर नंदनवन-सा लहराएं’। इसके साथ ही संघ में कहा जाता है- ‘संघ कुछ नहीं करेगा और संघ का स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ेगा’। इस गीत और कथन, दोनों का अभिप्राय स्पष्ट है कि संघ के स्वयंसेवक प्रत्येक क्षेत्र में जाएंगे और उसे भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों के साथ समृद्ध करने का प्रयत्न करेंगे। संघ का मूल कार्य शाखा के माध्यम से संस्कारित और ध्येयनिष्ठ नागरिक तैयार करना है। अपनी स्थापना के पहले दिन से संघ यही कार्य कर रहा है। यह ध्येयनिष्ठ स्वयंसेवक ही प्रत्येक क्षेत्र में संघ के विचार को लेकर पहुँचे हैं और वहाँ उन्होंने संघ की प्रेरणा से समविचारी संगठन खड़े किए हैं। आज की स्थिति में समाज जीवन का कोई भी क्षेत्र संघ के स्वयंसेवकों ने खाली नहीं छोड़ा है। संघ से प्रेरणा प्राप्त समविचारी संगठन प्रत्येक क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों का संरक्षण करते हुए सकारात्मक परिवर्तन के ध्वज वाहक बने हुए हैं। शिक्षा, कला, फिल्म, साहित्य, संस्कृति, खेल, उद्योग, विज्ञान, आर्थिक क्षेत्र सहित मजदूर, इंजीनियर, डॉक्टर, प्राध्यापक, किसान, वनवासी इत्यादि वर्ग के बीच में भी संघ के समविचारी संगठन प्रामाणिकता से कार्य कर रहे हैं।
read moreजानिए क्या है ब्रुक्सिज्म, जिसमें व्यक्ति पीसने लगता है अपने दांत कई बार व्यक्ति ऐसी कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित होता है, जिसे आमतौर पर काफी हल्के में लिया जाता है। लेकिन यह कभी-कभी बहुत अधिक खतरनाक हो सकती हैं। इन्हीं में से एक है ब्रुक्सिज्मं। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें आप अपने दांतों को पीसते, पीसते या जकड़ते हैं। यदि आपको ब्रुक्सिज्म है, तो आप अनजाने में अपने दांतों को पीस सकते हैं। ऐसा आप जागते हुए कर सकते हैं या फिर नींद के दौरान उन्हें पीस सकते हैं। स्लीप ब्रुक्सिज्म को नींद से संबंधित मूवमेंट डिसऑर्डर माना जाता है। जो लोग नींद के दौरान अपने दांत को भींचते या पीसते हैं, उनमें अन्य नींद संबंधी विकार होने की संभावना अधिक होती है, जैसे खर्राटे लेना और सांस लेने में रुक जाना आदि। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ब्रुक्सिज्म और उससे निपटने के कुछ आसान तरीकों के बारे में बता रहे हैं-
read moreदशहरे पर इस खास पक्षी के दर्शन मात्र से जीवन में होती है धन वर्षा हर व्यक्ति चाहता है कि उसका जीवन सुख-समृद्ध व खुशहाली से भरा हो। कभी-कभी लोग अपनी इस खास इच्छापूर्ति के लिए तरह-तरह के उपाय भी अपनाते हैं। लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं होता है। ऐसे में आप एक बार इस उपाय को अपनाकर देखें। इस साल दशहरा 5 अक्टूबर बुधवार के दिन मनाया जा रहा है। असत्य पर सत्य की जीत के इस खास पर्व पर आप प्रभु श्रीराम के साथ-साथ माता लक्ष्मी की अपार कृपा पाने के लिए नीलकंठ पक्षी के दर्शन इस दिन अवश्यक करें। ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाते हैं तो उसके जीवन में शुभता का आगमन होता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-
read moreसंघ को प्रशंसा या आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता, वह तो बस राष्ट्रसेवा में लीन रहने वाला संगठन है हिन्दू संगठन और राष्ट्र को परमवैभव पर ले जाने के जिस उद्देश्य को लेकर सन 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में डॉ.
read moreGyan Ganga: विभीषण ने रावण को अपनी बात समझाने के लिए क्या प्रयास किये थे?
read moreमहानवमी व्रत करने से मिलती है शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति आज महानवमी है, महानवमी का दिन हिन्दू धर्म में बहुत खास होता है, तो आइए हम आपको महानवमी व्रत की विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
read moreप्रियंका चोपड़ा ने कमला हैरिस से कहा- एक तरह से हम दोनों ही भारत की बेटियां हैं वाशिंगटन। अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस तथा भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जोनस ने भारत से अपने जुड़ाव को साझा करते हुए विवाह एवं वेतन में समानता और जलवायु परिवर्तन समेत विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की। अब लॉस एंजिलिस मे रह रहीं अदाकारा एवं निर्माता प्रियंका को ‘डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी’ के ‘वीमन लिडरशिप फोरम’ ने उपराष्ट्रपति हैरिस का साक्षात्कार करने के लिए आमंत्रित किया था। गायक निक जोनस से शादी के बाद से प्रियंका अमेरिका में बस गई हैं। इसे भी पढ़ें: नवमी के दिन अमित शाह ने मां वैष्णो देवी के किए दर्शन, जम्मू और कश्मीर की यात्रा पर है गृह मंत्री अभिनेत्री ने इस साक्षात्कार की शुरुआत दोनों के भारत से जुड़े होने के बारे में बात करते हुए की। प्रियंका ने डेमोक्रेटिक पार्टी के देशभर के कुछ प्रख्यात लोगों की मौजूदगी के बीच कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि एक तरह से हम दोनों ही भारत की बेटी हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आप अमेरिका की एक बेटी हैं, जिनकी मां भारतीय और पिता जमैका से थे। मैं एक भारतीय माता-पिता की बेटी हूं, जो हाल ही में इस देश में आ बसी।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका पूरी दुनिया के लिए आशा, स्वतंत्रता की एक किरण के रूप में पहचाना जाता है और ‘‘ इस समय इन सिद्धांतों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं।’’ इसे भी पढ़ें: निर्यातकों का सीतारमण से निर्यात माल ढुलाई पर जीएसटी छूट की अवधि बढ़ाने का आग्रह अभिनेत्री ने कहा कि 20 साल तक काम करने के बाद पहली बार इस साल उन्हें पुरुष कलाकार के बराबर पैसे मिले। उन्होंने वैवाहिक जीवन में समानता पर भी बात की। वहीं, हैरिस ने भी माना कि हम एक अस्थिर दुनिया में रह रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ मैं एक उपराष्ट्रपति के तौर पर दुनियाभर की यात्रा कर रही हूं। मैंने 100 विश्व नेताओं से मुलाकात की है या फोन पर बात की है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वे चीजें जिन्हें हम लंबे समय से हल्के में ले रहे थे, उन पर अब चर्चा की जा रही है।’’ हैरिस ने कहा, ‘‘ यूक्रेन में बिना किसी उकसावे के रूस के युद्ध को देखिए.
read moreहैवी है ब्रेस्ट तो इस तरह चुनें अपने लिए सही ब्रा ब्रा किसी भी महिला के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण इनरवियर है। ब्रा महिलाओं के ब्रेस्ट को सपोर्ट प्रदान करती है और उन्हें अधिक आरामदायक भी महसूस करवाती है। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि महिला सही ब्रा का चयन करे। ब्रा का चयन करते हुए आपको अपने ब्रेस्ट पर ध्यान देना चाहिए। यह देखने में आता है कि जिन महिलाओं के हैवी ब्रेस्ट होते हैं, उन्हें अपने लिए परफेक्ट ब्रा ढूंढने व खरीदने में समस्या होती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसे आसान तरीकों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें अपनाकर बिग ब्रेस्ट की महिलाएं भी अपने लिए एक परफेक्ट ब्रा खरीद सकती हैं-
read moreसरकारी प्रोत्साहन की वजह से नवाचार के क्षेत्र में भारत लगा रहा है छलांगें भारत दुनिया में नवाचार की दृष्टि से उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। संभवतः आजादी के बाद यह पहला अवसर है कि भारत के विकास की दृष्टि से नवाचार (इनोवेशन) के जितने सफल एवं सार्थक प्रयोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे हैं, उतने पूर्व में नहीं हुए हैं। उससे दुनिया में भारत की छवि बदली है एवं प्रतिष्ठा बढ़ी है। दुनिया में तरक्की व प्रगति का बुनियादी आधार नवाचार ही होता है। इस क्षेत्र से भारत के लिए सुखद और गर्व करने योग्य खबर है कि हमने एक बड़ी छलांग लगाई है। एक साल पहले के 46वें स्थान के मुकाबले अब हम 40वें स्थान पर आ गए हैं। सात साल में भारत इनोवेशन का निर्धारण करने वाली ग्लोबल इंडेक्स में 81वें स्थान से उछलकर 40वें पायदान पर पहुंच गया है। शीर्ष स्तर पर एक साल में छह स्थान की एवं सात साल में 41 स्थान की छलांग काफी मायने रखती है, यह एक गर्व करने योग्य उपलब्धि है।
read more‘स्ट्रोक’ के सटीक आकलन की नई तकनीक भारत में असमय मौतों का एक प्रमुख कारण स्ट्रोक है। मस्तिष्क के किसी हिस्से में जब रक्त प्रवाह बाधित होता है, तो स्ट्रोक या मस्तिष्क के दौरे की स्थिति बनती है। स्ट्रोक कई प्रकार के होते हैं, जिनमें अधिकतर मामले इस्केमिक स्ट्रोक के होते हैं। मस्तिष्क तक ऑक्सीजन युक्त रक्त पहुँचाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज होने से इस्केमिक स्ट्रोक होता है। इस्केमिक स्ट्रोक का पता लगाने के लिए प्रचलित मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) और कंप्यूटर टोमोग्राफी (सीटी) भरोसेमंद तो है, पर खर्चीली है। यही कारण है कि यह तकनीक भारत की बड़ी आबादी की पहुँच से बाहर है। यह उल्लेखनीय है कि देश में प्रत्येक 10 लाख लोगों पर केवल एक एमआरआई सेंटर है।
read moreचीते आए तो दौड़े विचार (व्यंग्य) चीते आने की खबर से पता चला कि हम इतने दशकों से उनके बिना भी रफ़्तार पकड़े हुए थे। हमारे यहां तो अलग अलग नस्ल के बब्बर शेर भी बहुतेरे हैं। कहां विशाल चेहरे, यशस्वी बाल वाले प्रभावशाली, लोकतांत्रिक स्वतंत्र शेर और कहां चौबीस घंटे निगरानी में रखे जाने वाले चीते। बेशक हमारे यहां जंगली जानवर कम हैं, कुछ की तो पूरी छुट्टी कर दी हमारे वन प्रेमियों ने पर उससे क्या फर्क पड़ता है। हमारे यहां तो सामाजिक जानवर बहुत हैं और उनकी उत्पत्ति, रफ़्तार और व्यक्तित्व आभा दिन रात चौगुनी तरक्की कर रही है।
read moreकुल्लू का अंर्तराष्ट्रीय दशहरा, जहां नहीं जलाया जाता रावण दशहरा का विराट पर्व है। व्यास नदी के किनारे बसे शहर कुल्लू में ढोल, शहनाई, रणसिंघे बज रहे हैं। पर्वत शिखरों, घाटियों व पगडंडियों से रंगबिरंगी पालकियों व रथों में विराजे देवता, ऋषि, सिद्ध व नाग पधार रहे हैं। इस देव यात्रा में पीतल, तांबे, चांदी के वाद्य, रंग बिरंगे झंडे, चंवर व छत्र, विशेष चिन्ह, अनुभवी पुजारी, पुरोहित, गूर व कारदार सब शामिल हैं। हिमाचल प्रदेश की गोद में जब जब लोकउत्सव आयोजित होते हैं तब तब आम जनता अपने देवी देवताओं से भी मिलती है। कुल्लू घाटी में आयोजित होने वाले लोकोत्सवों का सरताज है कुल्लू दशहरा। यह विशाल लोकदेव समागम देश भर में दशहरा सम्पन्न होने के बाद आरम्भ होता है। शाही परिवार के सदस्य अभी भी सदियों पुरानी परम्पराएं निभाते हुए इस उत्सव में शामिल होते हैं तभी सन 1660 में पहली बार आयोजित हुए इस ऐतिहासिक उत्सव की आन, बान और शान अभी सलामत है।
read moreसाक्षात्कारः अजय देवगन ने माना- साउथ सिनेमा ने बॉलीवुड पर अच्छी बढ़त बनाई हुई है बेहतरीन अदाकारी के लिए अभिनेता अजय देवगन तीसरी बार नेशनल पुरस्कार से नवाजे गए। पिछले सप्ताह दिल्ली के विज्ञान भवन में 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का वितरण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों हुआ जिसमें कई कलाकारों को पुरस्कार दिया गया। अजय देवगन को उनकी फिल्म ‘तान्हाजी’ के लिए बेस्ट एक्टर अवॉर्ड मिला। इसके अलावा अन्य दो श्रेणियों में भी उनकी फिल्म को पुरस्कार मिला। पुरस्कार को उन्होंने दर्शकों को समर्पित करते हुए कहा ये उनका प्यार और स्नेह है। पुरस्कार वितरण के बाद अजय देवगन से डॉ.
read moreदूर रहकर भी कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के क्यों पास है गांधी परिवार?
read moreयूपी में कांग्रेस के नये अध्यक्ष खुद अपना चुनाव दो बार से हार रहे हैं, वह पार्टी को कैसे खड़ा कर पाएंगे?
read moreतंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है बिहार में स्थित मां बगलामुखी पीतांबरी सिद्धपीठ यूं तो देशभर में माता का पूजन किया जाता है और कई स्थानों पर उनके मंदिर स्थित हैं। लेकिन बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में स्थित मां बगलामुखी पीतांबरी सिद्धपीठ कई मायनों में बेहद ही विशिष्ट है। यह मुजफ्फरपुर शहर के कच्ची सराय रोड पर स्थित है और मुख्य रूप से तान्त्रिक पूजा के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन व पूरी श्रद्धा से यहां पर माता के समक्ष अपनी कोई मनोकामना रखते हैं, तो वह अवश्य पूरी होती है। यह एक बेहद प्राचीन मंदिर हैं, जहां पर केवल स्थानीय या राज्य के लोग ही दर्शन हेतु नहीं आते हैं, बल्कि देश के कोने-कोने से भक्तगण यहां पर माता के दर्शन करते हैं। नवरात्रि के शुभ अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको इस अति विशिष्ट मंदिर के बारे में बता रहे हैं-
read moreमहाष्टमी व्रत करने से जीवन में आती है खुशहाली और सम्पन्नता आज दुर्गाष्टमी है, इस मां दुर्गा की पूजा कर कन्याओं को भोज कराने का विधान है, तो आइए हम आपको महाष्टमी व्रत से पूजा विधि एवं महत्व के बारे में बताते हैं।
read moreनवरात्रि में आलू या साबूदाना खाना लाभकारी है या नहीं, जानिए यहां नवरात्रि के शुभ अवसर पर भक्तगण माता की भक्ति करते हुए व्रत रखते हैं। व्रत के दौरान वह खान-पान से जुड़े भी कुछ प्रतिबंधों का पालन करते हैं। व्रत के दौरान अन्न खाने की मनाही होती है। ऐसे में भक्तगण आलू व साबूदाना का सेवन करते हैं। लेकिन लगातार इसका सेवन कितना उचित है, यह भी एक मुख्य सवाल है। दरअसल, इन दोनों में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, जिससे वजन बढ़ने की संभावना अधिक हो जाती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि नवरात्रि व्रत के दौरान आलू और साबूदाना खाना कितना सही है और इसका सही तरह से सेवन किस प्रकार किया जाए-
read moreLorem ipsum dolor sit amet, consetetur sadipscing elitr, sed diam nonumy eirmod tempor invidunt ut labore et dolore magna aliquyam erat, sed diam voluptua. At vero