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20 साल तक चली जंग, 12 दिनों में 2000 टन बम गिराने के बाद भी एक महाशक्ति के लुट-पिट कर लौटने की अनोखी दास्तां
By DivaNews
19 December 2022
20 साल तक चली जंग, 12 दिनों में 2000 टन बम गिराने के बाद भी एक महाशक्ति के लुट-पिट कर लौटने की अनोखी दास्तां दुनिया का रहनुमा, लोकतंत्र का प्रहरी, आतंकवाद का दुश्मन और खुद को सुपरपॉवर मुल्क मानने वाले देश के लुट-पिट कर लौटने की दास्तां है। आधुनिक इतिहास में इससे लंबी और भीषण लड़ाई की कोई मिसाल नहीं है। इस युद्ध में अमेरिका को अपने 58000 सैनिकों को खोना पड़ा था। कहा जाता है कि ये युद्ध 20 साल तक चला था। ये कैसे शुरू हुआ इसे जानने से पहले थोड़ा इतिहास समझ लीजिए। इस इलाके पर लंबे समय तक फ्रांस का कब्जा रहा। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यहां शासन कायम रखना मुश्किल होने लगा। विश्व युद्ध के बाद विचारधाराओं की जंग बढ़ने लगी थी। इंडो चाइना क्षेत्र में सोवियत संघ और चीन का दखल बढ़ने लगा था। यहां के लोग विदेशी शासनों से मुक्ति चाहते थे। कम्युनिस्टों ने उनके विरोधों को स्वर दे दिया। पहले छोटी-मोटी लड़ाई फिर भीषण युद्ध। 20 सालों तक चली जंग1955 में उत्तरी वियतनाम ने जब दक्षिणी भाग पर सैन्य जमावड़ा शुरू किया तो अमेरिका ने कम्युनिज्म के फैलने से रोकने के लिहाजे से सैन्य कार्रवाई छेड़ दी। 1967 तक वियतनाम में अमेरिकी फौजियों की संख्या 5 लाख को पार कर गई। लेकिन 1969 आते-आते घरेलू दबाव की वजह से अमेरिकी ने वियतनाम से बाहर निकलने का मन बना लिया। 20 सालों की जंग के दौरान कई बार संधि पर समझौते हुए और सब बेकार हो गए। 1972 में अमेरिका और उत्तरी वियतनाम के बीच एक बार फिर बातचीत हुई और वो भी बेनतीजा रही।इसे भी पढ़ें: अमेरिका : वर्जीनिया में सरकारी उपकरणों में टिकटॉक के इस्तेमाल पर प्रतिबंधउत्तरी वियतनाम पर 2 हजार टन बम गिराए अमेरिकी सैनिकों पर बमबारी के बाद उसने भी अपने बी -52 विमान को मैदान में उतार दिया था। अमेरिका के 200 बी-52 विमानों ने 12 दिनों के भीतर उत्तरी वियतनाम पर 2 हजार टन बम गिराए थे। इसे अमेरिकी वायु सेना का अब तक का सबसे भीषण और चौंकाने वाला हमला माना जाता है, जिसे ऑपरेशन लाइनरबैकर-II का नाम दिया गया था। उत्तरी वियतनाम और अमेरिका के बीच समझौता जनवरी 1973 में पेरिस में अमेरिका, उत्तरी वियतनाम और दक्षिण वियतनाम व वियतकॉन्ग के बीच एक शांति समझौता हुआ। इसी समझौते की आड़ में अमेरिकी वियतनाम से अपनी सेना हटाना चाहता था। इसके बाद वियतनाम में भी वही हुआ जैसा कि एक साल पहले अफगानिस्तान में देखने को मिला। अमेरिकी फौज के पूरी तरह से निकलने से पहले ही 29 मार्च 1973 को उत्तरी वियतनाम ने दक्षिणी वियतनाम पर हमला बोल दिया। दो साल बाद 1975 में 30 अप्रैल को कम्युनिस्ट वियतनाम की फौज साइगॉन में घुस गई और वहां बचे अमेरिकियों को आनन-फानन में भागना पड़ा।
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