बहुजन आंदोलन के महानायक थे कांशीराम, अटल बिहारी वाजपेयी भी उन्हें समझने में कर गए थे चूक कांशीराम की गिनती देश के कद्दावर दलित नेताओं में होती है। भारत की राजनीति में दलितों की हक की आवाज उठाने का श्रेय कांशीराम को जाता है। कांशीराम को दलित राजनीति का मास्टरमाइंड भी कहा जाता है। कांशीराम में हमेशा अल्पसंख्यकों और दलितों की आवाज उठाई। कांशीराम वास्तव में बहुजन आंदोलन के महानायक थे। कांशीराम का जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले के दलित परिवार में हुआ था। कांशीराम का बचपन ऐसी अवस्था में बिता जहां समाज में जाति और छुआछूत का कलंक साफ तौर पर देखा जा रहा था। यही कारण था कि उन्होंने अपने जीवन में दलितों और अल्पसंख्यकों की आवाज उठाई। कांशीराम की प्रारंभिक शिक्षा उनके शहर में ही हुई। उन्होंने 1956 में विज्ञान विषय में गवर्नमेंट कॉलेज से डिग्री हासिल की। समाज के पिछड़े लोगों की आवाज उठाना कांशीराम के लिए लगातार जरूरी होता जा रहा था।
read moreपहली बार टेम्पोन का कुछ ऐसे करें इस्तेमाल कुछ वर्षों पहले तक महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े का इस्तेमाल करती थीं। लेकिन समय बदला और महिलाओं ने सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। आज के समय में महिलाएं पैड्स के अलावा टैम्पोन व मेंस्ट्रुअल कप आदि भी यूज करती हैं। इन्हें पारंपरिक पैड्स से अधिक यूजफुल माना जाता है, क्योंकि ये टैम्पोन व मेंस्ट्रुअल कप अधिक ब्लड फ्लो को आसानी से हैंडल कर सकते हैं।
read moreशरद पूर्णिमा के व्रत को कभी अधूरा छोड़ने की गलती नहीं करें, पूजन विधि को ध्यान से पढ़ें शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह पर्व 9 अक्टूबर 2022 को पड़ रहा है। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाने वाले पर्व शरद पूर्णिमा के बारे में कहा जाता है कि पूरे वर्ष में सिर्फ इसी दिन चंद्रमा षोडश कलाओं का होता है। शरद पूर्णिमा को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। बृज क्षेत्र में तो इस पर्व की अलग ही छटा देखने को मिलती है। ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण ने दिव्य नृत्य किया था।
read moreवाल्मीकि जयंतीः शरद पूर्णिमा को जन्मे रत्नाकर बने थे महर्षि वाल्मीकि शरद पूर्णिमा के दिन महर्षि वाल्मीकि की जयंती होती है। महर्षि वाल्मीकि का प्रारंभिक नाम रत्नाकर था। इनका जन्म पवित्र ब्राह्मण कुल में हुआ था लेकिन दस्युओं के संसर्ग में रहने के कारण ये लूटपाट और हत्या करने लग गये थे। यही उनकी आजीविका का साधन बन गया था। इन्हें जो भी मार्ग में मिलता उसकी सम्पत्ति लूट लिया करते थे। एक दिन रत्नाकर की भेंट देवर्षि नारद से हो गई। उन्होंने नारद जी से कहा, “तुम्हारे पास जो कुछ है उसे निकालकर रख दो, नहीं तो जीवन से हाथ धोना पड़ेगा।“
read moreखाली पेट पीएंगे ये मॉर्निंग ड्रिंक्स तो नेचुरली दमकने लगेगी स्किन सुबह के समय आप जिस चीज का सेवन सबसे पहले करते हैं, उसका गहरा प्रभाव आपकी स्किन और सेहत पर पड़ता है। यह देखने में आता है कि अधिकतर लोग मॉर्निंग में तरह-तरह की ड्रिंक्स पीना पसंद करते हैं, ताकि उनका वजन बैलेंस रह सके। लेकिन अगर आप सही मॉर्निंग ड्रिंक्स का सेवन करते हैं तो इससे आपकी त्वचा दमकने लगती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कुछ ऐसी ही मॉर्निंग ड्रिंक्स के बारे में बता रहे हैं, जो आपकी स्किन के लिए काफी अच्छे हैं-
read moreराष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अवश्य जाएं और देश के लिए शहादत देने वालों को नमन करें राष्ट्रीय समर स्मारक की मांग कई दशकों से हो रही थी लेकिन इसे पूरा किया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। 2014 में राष्ट्रीय समर स्मारक बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू की गयी और 2019 में इसका लोकार्पण किया गया। राष्ट्रीय समर स्मारक बनने से पहले तक इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति पर ही देश के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जाती थी। लेकिन जब राष्ट्रीय समर स्मारक बना तो रक्षा बलों के राष्ट्र के लिये किये गये योगदान को सराहने वाली इस पहल का देश ने भरपूर स्वागत किया। इस साल अमर जवान ज्योति की ज्योति का भी राष्ट्रीय समर स्मारक में विलय कर दिया गया।
read moreडिलीवरी के बाद कमजोरी को दूर करने के लिए क्या खाएं मां बनना किसी भी स्त्री के लिए किसी दूसरे जन्म से कम नहीं है। जब एक स्त्री मां बनती हैं तो उसे प्रसव की असहनीय पीड़ा को सहना पड़ता है। साथ ही, बच्चे के जन्म के दौरान बहुत अधिक ब्लीडिंग होने के कारण महिला का शरीर काफी कमजोर हो जाता है। इसलिए प्रसव के बाद महिला को अपनी डाइट पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए। आहार के जरिए ही महिला का शरीर जल्दी रिकवर होता है और उसकी कमजोरी भी दूर होती है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि महिला को प्रसव के बाद किन चीजों का सेवन करना चाहिए, ताकि उनकी शारीरिक कमजोरी दूर हो जाए-
read moreJEE Exam Tips: देना है जेईई एग्जाम तो अंतिम एक महीने में ऐसे करें रिवीजन इंजीनियरिंग विषय में बैचलर डिग्री हासिल करने के लिए 12वीं कक्षा के बाद छात्रों को जेईई परीक्षा देनी होती है। इस परीक्षा का आयोजन हर वर्ष नेशनल टेस्टिंग एजेंसी करती है। इस वर्ष परीक्षा का आयोजन आईआईटी बॉम्बे द्वारा किया गया है। जेईई मेन परीक्षा को लेकर आमतौर पर छात्रों को काफी टेंशन होती है। ये परीक्षा उन चुनिंदा परीक्षाओं में शामिल है जो क्लीयर करना हर छात्र के लिए आसान नहीं होता है। जेईई परीक्षा के लिए वैसे तो काफी लंबे समय से ही छात्र तैयारी शुरू कर देते है, मगर परीक्षा से सिर्फ एक महीने पहले का समय काफी अहम होता है। इस समय में ये देखना जरूरी होता है कि परीक्षा की तैयारी करने के दौरान रिवीजन करने से कोई टॉपिक ना रह जाए। इसे भी पढ़ें: पर्सनैलिटी में इस तरह लाएं निखार, कॅरियर में होगी ग्रोथपरीक्षा देने जाने से पूर्व इन बातों का रखें ख्यालअगर आपको भी परीक्षा देनी है तो इसके लिए अंतिम एक महीने में परीक्षा की तैयारी करने और रिवीजन करने के लिए खास रणनीति अपनानी पड़ती है। इन टिप्स के जरिए छात्रों को तैयारी करने में मदद मिलेगी। - जेईई परीक्षा की तैयारी करते हुए एकाग्र रहते हुए पढ़ाई करें। परीक्षा होने से एक महीने पूर्व के समय में छात्रों के लिए जरूरी है कि वो अपना नजरिया सकारात्मक रखें। खुद को शांत रखते हुए तैयारी करने से सफलता मिलना आसान होता है।- मॉक टेस्ट और पूर्व वर्षों के पेपर जरुर सॉल्व करें क्योंकि ये टाइम मैनेजमेंट में मददगार होता है। इससे समय सीमा तय करने में भी मदद मिलती है।- परीक्षा देने से पहले अधिक से अधिक सैंपल पेपर सॉल्व करें। सैंपल पेपर के जरिए छात्र एग्जाम पैटर्न को भी समझ सकते है। - जेईई परीक्षा में सफलता पाने के लिए कम समय में अधिक सवाल सही तरीके से सॉल्व करने की कोशिश करें। हालांकि ध्यान रखना जरूरी है कि स्पीड में इजाफा करने के लिए गलतियां ना करें क्योंकि ऐसा करना भारी पड़ सकता है।- लगातार हो रही पढ़ाई के दौरान बीच में समय समय पर ब्रेक भी लें। ऐसा करने से दिमाग फ्रेश होता है और अधिक एक्टिव होकर काम करता है। थोड़े अंतराल पर ब्रेक लेने से दिमाग पढ़ते हुए बोर नहीं होता है।- सैंपल पेपर में हुई गलतियों के जरिए अपने परफॉर्मेंस का विश्लेषण भी करें। ये कदम अच्छे अंक लाने में मददगार साबित होगा। कमजोरियों पर काबू पाने के लिए ये तरीका लाभदायक हो सकता है।- हर विषय पर को अहमियत दें और सभी को समय दें। किसी भी विषय को नजरअंदाज ना करें।- तैयारी करने के साथ रिवीजन के समय भी एनसीईआरटी पुस्तकों की मदद लें। ये ही जेईई मेन और एडवांस का आधार होती है।
read moreखड़गे के सामने नहीं टिक पा रहे शशि थरूर, गांधी परिवार की योजना सही दिशा में बढ़ रही है सस्पेंस और हॉरर हिंदी फिल्म की तरह हो गया है कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव। प्रत्येक घंटे कुछ ना कुछ अप्रत्याशित बदलाव हो रहे हैं। कौन नामांकन भर रहा है, कौन पीछे हट रहा है, यही ड्रामा बीते कुछ दिनों से दिल्ली के 24 अकबर रोड़ स्थित कांग्रेस मुख्यालय पर देखने को मिल रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर लगाए गए राजनैतिक पंडितों के भी अभी तक के सभी कयास फेल हो गए हैं। कहानी अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर पर आकर रूक गई है। जबकि, शुरुआत राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से हुई थी। रेस में उनके पिछड़ने के बाद कांग्रेस के दूसरे कद्दावर नेताओं जैसे दिग्विजय सिंह व कमलनाथ और ना जाने कितने धुरंधरों के ईदगिर्द अध्यक्ष बनने की गेंद घूमती रही। पर, कहानी में घंटे-घंटे भर बाद मोड़ कुछ ऐसे आए जिससे उपरोक्त नाम एक-एक करके किनारे होते गए। इसी दरम्यान मौजूदा अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी चुप्पी तोड़ी और अपने सबसे वफादार नेता कमलनाथ के नाम पर उन्होंने गर्दन हिलाकर स्वीकृति देकर उन्हें रात में ही भोपाल से दिल्ली तलब किया। लेकिन जब वह आए तो उन्होंने अपनी भविष्य की राजनीतिक महत्वकांक्षा सोनिया गांधी को बताकर कांग्रेस अध्यक्ष पद के संभावित उम्मीदवार से अपना नाम हटवा लिया। दरअसल, अगले साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां कमलनाथ खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर देख रहे हैं। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद मुख्यमंत्री उम्मीदवारी में उनका नाम सबसे आगे है जिस पर दिल्ली के शीर्ष नेतृत्व की भी हामी है। हालांकि इस कड़ी में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी कतार में हैं। पर, उनकी दावेदारी कई कारणों से कमलनाथ के मुकाबले कमजोर है। लेकिन, मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा उनमें भी कमलनाथ से कम नहीं है। उनके भीतर भी रात दिन मुख्यमंत्री बनने के सपने हिलोरे मारते हैं। इसी कारण उन्होंने भी कांग्रेस अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी में कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।
read moreओह शिट! वाट हैपन्स (व्यंग्य) पाखाना। नाम सुनते ही घिन्न पैदा हो रही न!
read moreवायुसेना को प्रचंड हेलिकॉप्टर मिल तो गया है, पर विदेशी निर्भरता अब भी बनी हुई है स्वदेशी तकनीक से बने हल्के युद्धक हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड भारत की सैन्य सामग्री और उपकरणों की कम होती निर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इसके बावजूद भारत की मंजिल अभी दूर है। भारत को अपनी सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर होने में लंबा सफर तय करना है। भारत का हल्का युद्धक हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड देश की सुरक्षा में बढ़ते हुए कदमों की दृढ़ता का प्रतीक है। इस हेलीकॉप्टर का निर्माण 45 प्रतिशत स्वदेशी तथा 55 प्रतिशत विदेशी पुर्जों से किया गया है। प्रयास यह किए जा रहे हैं कि हेलीकॉप्टर की तकनीक को 55 प्रतिशत तक स्वदेशी किया जाए ताकि विदेशी निर्भरता कम हो सके। इससे इसकी लागत में भी कमी आएगी। इस हेलीकॉप्टर के इंजिन का नाम शक्ति रखा गया है।
read moreशरद पूर्णिमा के दिन अनुष्ठान करने से सभी कामों में मिलती है सफलता आश्विन मास की पूर्णिमा का दिन शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। ज्योतिष के अनुसार पूरे साल केवल इसी दिन चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिंदू धर्म में लोग इस पर्व को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। मान्यता है कि इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था और यह भी मान्यता प्रचलित है कि इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। इसी कारण से उत्तर भारत में इस दिन खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने का विधान है।इसे भी पढ़ें: 9 अक्टूबर को मनाई जायेगी शरद पूर्णिमा, मां लक्ष्मी की करें विशेष पूजा अर्चनामहात्म्य- मान्यता है कि इस दिन कोई व्यक्ति यदि कोई अनुष्ठान करता है तो उसका अनुष्ठान अवश्य सफल होता है। इस दिन व्रत कर हाथियों की आरती करने पर उत्तम फल मिलते हैं। आश्विन मास की पूर्णिमा को आरोग्य हेतु फलदायक माना जाता हे। मान्यता के अनुसार पूर्ण चंद्रमा अमृत का स्रोत है और इस पूर्णिमा को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि के समय खीर को चंद्रमा की चांदनी में रखकर उसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है। चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा भोजन में समाहित हो जाती है जिसका सेवन करने से सभी प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती हैं। आयुर्वेद के ग्रंथों में भी इसकी चांदनी के औषधीय महत्व का वर्णन मिलता हे। खीर को चांदनी में रखकर अगले दिन इसका सेवन करने से असाध्य रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है। एक अध्ययन के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन प्राकृतिक औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है। लंकापति रावण शरद पूर्णिमा की रात किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 30 मिनट तक शरद पूर्णिमा का स्नान करना चाहिये।
read moreघर में रखेंगे यह मूर्तिंयां, तो जीवन में आएगी सिर्फ खुशियां ही खुशियां लोग अपने घर को सजाने के लिए तरह-तरह की मूर्तियों को अपने घर में जगह देते हैं। आमतौर पर, अलग तरह की मूर्तियां घर की खूूबसूरती में चार-चांद लगाती हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि अगर मूर्ति का चयन बेहद सोच-समझकर किया जाए तो इससे जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली आती है। साथ ही, व्यक्ति को धन-लाभ भी होता है। वास्तु शास्त्र में भी अलग-अलग तरह की मूर्तियों और उनके सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताया गया है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसी कुछ मूर्तियों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें घर में रखना काफी अच्छा माना जाता है-
read moreWHO ने भारत में बने कफ सिरप पर जो आरोप लगाये हैं उसके सबूत भी तो देने चाहिए भारत दुनिया भर में फॉर्मेसी का हब माना जाता है। भारत में बनने वाली दवाएं और टीके इत्यादि दुनियाभर में उच्च गुणवत्ता और कम कीमत वाले उत्पादों के रूप में पहचाने जाते हैं। अभी कोरोना काल में दुनिया ने देखा कि कैसे भारत में बने कोरोना रोधी टीकों ने अरबों लोगों की जान बचाई। ऐसी परिस्थिति में यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन आरोप लगा दे कि भारत में बनी किसी दवा के विपरीत असर से 66 बच्चों की मौत हो गयी है तो पूरी दुनिया में हड़कंप मचना स्वाभाविक है। हम आपको बता दें कि भारत में एक निजी फार्मा कंपनी द्वारा निर्मित कफ सिरप पर गंभीर सवाल उठाते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन चार दवाओं के खिलाफ अलर्ट जारी किया है, जिनके कारण गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत होने और गुर्दे को गंभीर नुकसान पहुंचने की आशंका जताई गयी है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक के मुताबिक ये चार दवाएं भारत की कंपनी मेडन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा बनाए गए सर्दी एवं खांसी के सिरप हैं। इन उत्पादों के नाम प्रोमेथाजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप बताये जा रहे हैं। हालांकि डब्ल्यूएचओ की ओर से बच्चों की मौत के सटीक कारण भारत को ना तो उपलब्ध कराये गये हैं और ना ही दवा और इसके लेबल का ब्योरा भारत के केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन के साथ साझा किया गया है ताकि उत्पादन के स्रोत की पुष्टि हो सके।
read more9 अक्टूबर को मनाई जायेगी शरद पूर्णिमा, मां लक्ष्मी की करें विशेष पूजा अर्चना सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को बेहद खास त्योहार माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी जी की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसके अलावा भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में धन की कमी दूर होती है। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर- जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा.
read moreतमाम आंदोलनों की मशाल थामने वाले जननायक थे जयप्रकाश नारायण लोकनायक जयप्रकाशजी की समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रही। उसमें अनेक पड़ाव आए, उन्होंने भारतीय राजनीति को ही नहीं बल्कि आम जनजीवन को एक नई दिशा दी, नए मानक गढ़े। जैसे- भौतिकवाद से अध्यात्म, राजनीति से सामाजिक कार्य तथा जबरन सामाजिक सुधार से व्यक्तिगत दिमागों में परिवर्तन। वे विदेशी सत्ता से देशी सत्ता, देशी सत्ता से व्यवस्था, व्यवस्था से व्यक्ति में परिवर्तन और व्यक्ति में परिवर्तन से नैतिकता के पक्षधर थे। वे समूचे भारत में ग्राम स्वराज्य का सपना देखते थे और उसे आकार देने के लिए अथक प्रयत्न भी किए। उनका संपूर्ण जीवन भारतीय समाज की समस्याओं के समाधानों के लिए प्रकट हुआ, एक अवतार की तरह, एक मसीहा की तरह। वे भारतीय राजनीति में सत्ता की कीचड़ में केवल सेवा के कमल कहलाने में विश्वास रखते थे। उन्होंने भारतीय समाज के लिए बहुत कुछ किया लेकिन सार्वजनिक जीवन में जिन मूल्यों की स्थापना वे करना चाहते थे, वे मूल्य बहुत हद तक देश की राजनीतिक पार्टियों को स्वीकार्य नहीं थे। क्योंकि ये मूल्य राजनीति के तत्कालीन ढांचे को चुनौती देने के साथ-साथ स्वार्थ एवं पदलोलुपता की स्थितियों को समाप्त करने के पक्षधर थे, राष्ट्रीयता की भावना एवं नैतिकता की स्थापना उनका लक्ष्य था, राजनीति को वे सेवा का माध्यम बनाना चाहते थे।
read moreपुण्यतिथि विशेषः मुंशी प्रेमचंद थे ज़िन्दा ज़मीर के लेखक मुंशी प्रेमचंद क्रांतिकारी रचनाकर थे। वह समाज सुधारक और विचारक भी थे। उनके लेखन का मक़सद सिर्फ़ मनोरंजन कराना ही नहीं, बल्कि सामाजिक कुरीतियों की ओर ध्यान आकर्षित कराना भी था। वह सामाजिक क्रांति में विश्वास करते थे। वह कहते थे कि समाज में ज़िन्दा रहने में जितनी मुश्किलों का सामना लोग करेंगे, उतना ही वहां गुनाह होगा। अगर समाज में लोग खु़शहाल होंगे, तो समाज में अच्छाई ज़्यादा होगी और समाज में गुनाह नहीं के बराबर होगा। मुंशी प्रेमचंद ने शोषित वर्ग के लोगों को उठाने की हर मुमकिन कोशिश की। उन्होंने आवाज़ लगाई- ऐ लोगों, जब तुम्हें संसार में रहना है, तो ज़िन्दा लोगों की तरह रहो, मुर्दों की तरह रहने से क्या फ़ायदा। मुंशी प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उनका जन्म 31 जुलाई, 1880 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज़िले के गांव लमही में हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी अजायब लाल और माता का नाम आनंदी देवी था। उनका बचपन गांव में बीता। उन्होंने एक मौलवी से उर्दू और फ़ारसी की शिक्षा हासिल की। साल 1818 में उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। वह एक प्राइमरी स्कूल में अध्यापन का कार्य करने लगे और कई पदोन्नतियों के बाद वह डिप्टी इंस्पेक्टर बन गए। उच्च शिक्षा उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्राप्त की। उन्होंने अंग्रेज़ी सहित फ़ारसी और इतिहास विषयों में स्नातक किया था। बाद में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में योगदान देते हुए उन्होंने अंग्रेज़ सरकार की नौकरी छोड़ दी।इसे भी पढ़ें: जयंती विशेषः नैतिकता की मिसाल थे लाल बहादुर शास्त्रीप्रेमचंद ने पारिवारिक जीवन में कई दुख झेले। उनकी मां के निधन के बाद उनके पिता ने दूसरा विवाह किया। लेकिन उन्हें अपनी विमाता से मां की ममता नहीं मिली। इसलिए उन्होंने हमेशा मां की कमी महसूस की। उनके वैवाहिक जीवन में भी अनेक कड़वाहटें आईं। उनका पहला विवाह पंद्रह साल की उम्र में हुआ था। यह विवाह उनके सौतेले नाना ने तय किया था। उनके लिए यह विवाह दुखदाई रहा और आख़िर टूट गया। इसके बाद उन्होंने फ़ैसला किया कि वह दूसरा विवाह किसी विधवा से ही करेंगे। साल 1905 में उन्होंने बाल विधवा शिवरानी देवी से विवाह कर लिया। शिवरानी के पिता ज़मींदार थे और बेटी का पुनर्विवाह करना चाहते थे। उस वक़्त एक पिता के लिए यह बात सोचना एक क्रांतिकारी क़दम था। यह विवाह उनके लिए सुखदायी रहा और उनकी माली हालत भी सुधर गई। वह लेखन पर ध्यान देने लगे। उनका कहानी संग्रह सोज़े-वतन प्रकाशित हुआ, जिसे ख़ासा सराहा गया। उन्होंने जब कहानी लिखनी शुरू की, तो अपना नाम नवाब राय धनपत रख लिया। जब सरकार ने उनका पहला कहानी संग्रह सोज़े-वतन ज़ब्त किया। तब उन्होंने अपना नाम नवाब राय से बदलकर प्रेमचंद कर लिया और उनका अधिकतर साहित्य प्रेमचंद के नाम से ही प्रकाशित हुआ। कथा लेखन के साथ उन्होंने उपन्यास पढ़ने शुरू कर दिए। उस समय उनके पिता गोरखपुर में डाक मुंशी के तौर पर काम कर रहे थे। गोरखपुर में ही प्रेमचंद ने अपनी सबसे पहली साहित्यिक कृति रची, जो उनके एक अविवाहित मामा से संबंधित थी। मामा को एक छोटी जाति की महिला से प्यार हो गया था। उनके मामा उन्हें बहुत डांटते थे। अपनी प्रेम कथा को नाटक के रूप में देखकर वह आगबबूला हो गए और उन्होंने पांडुलिपि को जला दिया। इसके बाद हिन्दी में शेख़ सादी पर एक किताब लिखी। टॊल्सटॊय की कई कहानियों का हिन्दी में अनुवाद किया। उन्होंने प्रेम पचीसी की भी कई कहानियों को हिन्दी में रूपांतरित किया, जो सप्त-सरोज शीर्षक से 1917 में प्रकाशित हुईं। इनमें बड़े घर की बेटी, सौत, सज्जनता का दंड, पंच परमेश्वर, नमक का दरोग़ा, उपदेश, परीक्षा शामिल हैं। प्रेमचंद की सर्वश्रेष्ठ कहानियों में इनकी गणना होती है। उनके उपन्यासों में सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, कायाकल्प, वरदान, निर्मला, ग़बन, कर्मभूमि, कृष्णा, प्रतिज्ञा, प्रतापचंद्र, श्यामा और गोदान शामिल है। गोदान उनकी कालजयी रचना मानी जाती है। बीमारी के दौरान ही उन्होंने एक उपन्यास मंगलसूत्र लिखना शुरू किया, लेकिन उनकी मौत की वजह से वह अधूरा ही रह गया। उनकी कई रचनाएं उनकी स्मृतियों पर भी आधारित हैं। उनकी कहानी कज़ाकी उनके बचपन की स्मृतियों से जुड़ी है। कज़ाकी नामक व्यक्ति डाक विभाग का हरकारा था और लंबी यात्राओं पर दूर-दूर जाता था। वापसी में वह प्रेमचंद के लिए कुछ न कुछ लाता था। कहानी ढपोरशंख में वह एक कपटी साहित्यकार द्वारा ठगे जाने का मार्मिक वर्णन करते हैं।इसे भी पढ़ें: रानी दुर्गावती ने मुगलों के खिलाफ लिया था लोहा, अपने सीने में उतारी थी कटारउन्होंने अपने उपन्यास और कहानियों में ज़िंदगी की हक़ीक़त को पेश किया। गांवों को अपने लेखन का प्रमुख केंद्रबिंदु रखते हुए उन्हें चित्रित किया। उनके उपन्यासों में देहात के निम्न-मध्यम वर्ग की समस्याओं का वर्णन मिलता है। उन्होंने सांप्रदायिक सदभाव पर भी ख़ास ज़ोर दिया। प्रेमचंद को उर्दू लघुकथाओं का जनक कहा जाता है। उन्होंने उपन्यास, कहानी, नाटक, समीक्षा, लेख और संस्मरण आदि विधाओं में साहित्य की रचना की, लेकिन प्रसिद्ध हुए कहानीकार के रूप में। उन्हें अपनी ज़िंदगी में ही उपन्यास सम्राट की पदवी मिल गई। उन्होंने 15 उपन्यास, तीन सौ से ज़्यादा कहानियां, तीन नाटक और सात बाल पुस्तकें लिखीं। इसके अलावा लेख, संपादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र लिखे और अनुवाद किए। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया। उनकी कहानियों में अंधेर, अनाथ लड़की, अपनी करनी, अमृत, अलग्योझा, आख़िरी तोहफ़ा, आख़िरी मंज़िल, आत्म-संगीत, आत्माराम, आधार, आल्हा, इज़्ज़त का ख़ून, इस्तीफ़ा, ईदगाह, ईश्वरीय न्याय, उद्धार, एक आंच की कसर, एक्ट्रेस, कप्तान साहब, कफ़न, कर्मों का फल, कवच, क़ातिल, काशी में आगमन, कोई दुख न हो तो बकरी ख़रीद लो, कौशल, क्रिकेट मैच, ख़ुदी, ख़ुदाई फ़ौजदार, ग़ैरत की कटार, गुल्ली डंडा, घमंड का पुतला, घरजमाई, जुर्माना, जुलूस, जेल, ज्योति,झांकी, ठाकुर का कुआं, डिप्टी श्यामचरण, तांगेवाले की बड़, तिरसूल तेंतर, त्रिया चरित्र, दिल की रानी, दुनिया का सबसे अनमोल रतन, दुर्गा का मंदिर, दूसरी शादी, दो बैलों की कथा, नबी का नीति-निर्वाह, नरक का मार्ग, नशा, नसीहतों का दफ़्तर, नाग पूजा, नादान दोस्त, निर्वासन, नेउर, नेकी, नैराश्य लीला, पंच परमेश्वर, पत्नी से पति, परीक्षा, पर्वत-यात्रा, पुत्र- प्रेम, पूस की रात, प्रतिशोध, प्रायश्चित, प्रेम-सूत्र, प्रेम का स्वप्न, बड़े घर की बेटी, बड़े बाबू, बड़े भाई साहब, बंद दरवाज़ा, बांका ज़मींदार, बूढ़ी काकी, बेटों वाली विधवा, बैंक का दिवाला, बोहनी, मंत्र, मंदिर और मस्जिद, मतवाली योगिनी, मनावन, मनोवृति, ममता, मां, माता का हृदय, माधवी, मिलाप, मिस पद्मा, मुबारक बीमारी, मैकू, मोटेराम जी शास्त्री, राजहठ, राजा हरदैल, रामलीला, राष्ट्र का सेवक, स्वर्ग की देवी, लेखक, लैला, वफ़ा का ख़ंजर, वरदान, वासना की कड़ियां, विक्रमादित्य का तेगा, विजय, विदाई, विदुषी वृजरानी, विश्वास, वैराग्य, शंखनाद, शतरंज के खिलाड़ी, शराब की दुकान, शांति, शादी की वजह, शूद्र, शेख़ मख़गूर, शोक का पुरस्कार, सभ्यता का रहस्य, समर यात्रा, समस्या, सांसारिक प्रेम और देशप्रेम, सिर्फ़ एक आवाज़, सैलानी, बंदर, सोहाग का शव, सौत, स्त्री और पुरुष, स्वर्ग की देवी, स्वांग, स्वामिनी, हिंसा परमो धर्म और होली की छुट्टी आदि शामिल हैं। साल 1936 में उन्होंने प्रगतिशील लेखक संघ के पहले सम्मेलन को सभापति के रूप में संबोधित किया था। उनका यही भाषण प्रगतिशील आंदोलन का घोषणा-पत्र का आधार बना। प्रेमचंद अपनी महान रचनाओं की रूपरेखा पहले अंग्रेज़ी में लिखते थे। इसके बाद उन्हें उर्दू या हिन्दी में अनुदित कर विस्तारित करते थे। प्रेमचंद सिनेमा के सबसे ज़्यादा लोकप्रिय साहित्यकारों में से हैं। उनकी मौत के दो साल बाद के सुब्रमण्यम ने 1938 में सेवासदन उपन्यास पर फ़िल्म बनाई। प्रेमचंद की कुछ कहानियों पर और फ़िल्में भी बनी हैं, जैसे सत्यजीत राय की फ़िल्म शतरंज के खिलाड़ी। प्रेमचंद ने मज़दूर फ़िल्म के लिए संवाद लिखे थे। फ़िल्म में एक देशप्रेमी मिल मालिक की कहानी थी, लेकिन सेंसर बोर्ड को यह पसंद नहीं आई। हालांकि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पंजाब में यह फ़िल्म प्रदर्शित हुई। फ़िल्म का मज़दूरों पर ऐसा असर पड़ा कि पुलिस बुलानी पड़ गई। आख़िर में फ़िल्म के प्रदर्शन पर सरकार ने रोक लगा दी। इस फ़िल्म में प्रेमचंद को भी दिखाया गया था। वह मज़दूरों और मालिकों के बीच एक संघर्ष में पंच की भूमिका में थे। साल 1977 में मृणाल सेन ने प्रेमचंद की कहानी कफ़न पर आधारित ओका ऊरी कथा नाम से एक तेलुगु फ़िल्म बनाई, जिसे सर्वश्रेष्ठ तेलुगु फ़िल्म का राष्ट्रीय प्रुरस्कार मिला। साल 1963 में गोदान और साल 1966 में ग़बन उपन्यास पर फ़िल्में बनीं, जिन्हें ख़ूब पसंद किया गया। साल1980 में उनके उपन्यास पर बना टीवी धारावाहिक निर्मला भी बहुत लोकप्रिय हुआ था। 8 अक्टूबर, 1936 को जलोदर रोग से मुंशी प्रेमचंद की मौत हो गई। उनकी स्मृति में भारतीय डाक विभाग ने 31 जुलाई, 1980 को उनकी जन्मशती के मौक़े पर 30 पैसे मूल्य का डाक टिकट जारी किया। इसके अलावा गोरखपुर के जिस स्कूल में वह शिक्षक थे, वहां प्रेमचंद साहित्य संस्थान की स्थापना की गई। यहां उनसे संबंधित वस्तुओं का एक संग्रहालय भी है। प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी ने प्रेमचंद घर में नाम से उनकी जीवनी लिखी। उनके बेटे अमृत राय ने भी क़लम का सिपाही नाम से उनकी जीवनी लिखी।
read moreस्वच्छता सारथी समारोह में आकर्षण बनी अपशिष्ट प्रबंधन प्रदर्शनी भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) कार्यालय द्वारा शुरू की गई 'स्वच्छता सारथी फेलोशिप' योजना के एक वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में विगत 30 सितम्बर और 1 अक्तूबर को 'स्वच्छता सारथी समारोह' का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी में देश के 27 राज्यों और 6 केंद्र-शासित प्रदेशों से गत वर्ष चयनित 344 'स्वच्छता सारथी फेलो' ने अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े अपने कार्यों को पोस्टर, प्रोटोटाइप, आलेख प्रस्तुतिकरण और उत्पाद के रूप में प्रदर्शित किया।
read moreगुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर है बेहद प्राचीन कामाख्या मंदिर एक बेहद की पॉपुलर मंदिर है और गुवाहाटी के सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। इसकी गिनती भारत के प्रमुख मंदिरों में से एक है। देवी कामाख्या को समर्पित यह कामाख्या मंदिर 51 शक्ति पीठों में सबसे पुराने में से एक है। यह गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर कई मायनों में बेहद महत्वपूर्ण है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको कामाख्या मंदिर के बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं-
read moreब्याज अनुदान योजना: दीर्घकालिक कृषि सहकारी लोन पर ब्याज सब्सिडी देश के करोड़ों किसानों को खेती से जुड़े कार्यों के लिए कर्ज की जरूरत होती है। ऐसे में कई किसान अपने गांव और कस्बे के साहूकारों से कर्ज लेते हैं। यह कर्ज बहुत महंगा पड़ता है। इस कर्ज के लिए साहूकार के पास कुछ गिरवी भी रखना पड़ता है तभी वह क़र्ज़ देता है। कर्ज पर ब्याज दर इतनी ज्यादा होती है कि कर्ज चुकाने में किसान के पसीने छूट जाते हैं। वहीं अगर किसान बैंक से पर्सनल लोन लेता है तो वह भी ऊंची ब्याज दर के साथ आता है। तो क्या है सही रास्ता?
read moreGoodbye Movie Review | रश्मिका मंदाना पर भारी पड़ी नीना गुप्ता, अमिताभ बच्चन के साथ शानदार केमिस्ट्री अमिताभ बच्चन, नीना गुप्ता और रश्मिका मंदाना की फिल्म गुड बॉय पड़े पर्दे पर रिलीज हो गयी हैं। फिल्म का कॉन्सेप्ट काफी अलग और बॉलीवुड में यूनिक हैं। फिल्म की कहानी घर में हुए एक मौत के इर्द-गिर्द लिखी गयी हैं। यह फिल्म आपके इमोशन का टेस्ट लेगी। फिल्म में एक इमोशन कहानी के साथ-साथ कॉमेडी का भी तड़का लगाया गया हैं। गुड बॉय एक 2022 भारतीय हिंदी भाषा की पारिवारिक कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है, जिसे विकास बहल द्वारा लिखित और निर्देशित किया गया है। एकता कपूर और शोभा कपूर द्वारा निर्मित और बहल और विराज सावंत द्वारा सह-निर्मित, फिल्म में अमिताभ बच्चन, रश्मिका मंदाना ,नीना गुप्ता और सुनील ग्रोवर के साथ पावेल गुलाटी, आशीष विद्यार्थी, एली अवराम, मेहता, शिविन नारंग और अभिषेक खान सहायक भूमिकाओं में हैं।
read moreयोगी ने दूसरे कार्यकाल के पहले छह महीने में ही हासिल कीं बड़ी उपलब्धियाँ उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के छह महीने पूर्ण कर लिए हैं। राज्य के राजनीतिक इतिहास में लगभग साढ़े तीन दशक के पश्चात किसी दल को दोबारा सत्ता में लाने का इतिहास रचने वाले योगी आदित्यनाथ ने अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल के दौरान बड़े धैर्य एवं साहस के साथ अनेक चुनौतियों का सामना किया। उन्हें जहां विरोधियों का प्रहार, आरोप-प्रत्यारोप एवं बुल्डोजर से मकान तोड़ने जैसे प्रकरणों का सामना करना पड़ा, वहीं अपनी जन हितैषी नीतियों से उन्होंने जनता का समर्थन एवं आशीर्वाद भी प्राप्त किया। उन्होंने आजमगढ़ एवं रामपुर लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव में विजय प्राप्त कर यह सिद्ध कर दिया कि वह वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं तथा विजयश्री प्राप्त करने के लिए समर्थ भी हैं। वास्तव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाजपा की रीतिनीति के अनुसार हिंदुत्व की छवि को सुदृढ़ करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। प्राचीन शहरों के नाम परिवर्तित करना तथा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण इसके उदाहरण हैं। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के मंदिर के निर्माण का कार्य चल रहा है। सरकार नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल करने पर विशेष बल दे रही है। गंगा का प्रदूषण कम करने के लिए स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना पर कार्य चल रहा है। योगी सरकार ने राज्य में पर्यटन विशेषकर धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है। राज्य में गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री निराश्रित गौवंश सहभागिता योजना प्रारम्भ की गई है। राज्य में बेघरों को आवास देने के लिए उत्तर प्रदेश आवास विकास योजना प्रारम्भ की गई। निर्धन परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना आरम्भ की गई। प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान प्रारम्भ किया गया। बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना आरम्भ की गई। बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन तथा मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना प्रारम्भ की गई। राज्य के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना प्रारम्भ की गई। बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश बेरोजगारी भत्ता नामक योजना आरम्भ की गई। राज्य के श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ देने के लिए श्रमिक पंजीकरण योजना प्रारम्भ की गई। श्रमिकों के भरण पोषण के लिए राज्य में श्रमिक भरण पोषण योजना आरम्भ की गई है। इसके साथ ही राज्य की समृद्धि के लिए उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है।इसे भी पढ़ें: योगी आदित्यनाथ का दावा, अयोध्या में राम मंदिर का 50 फीसदी से ज्यादा काम पूरा होने के करीबयोगी सरकार ने कृषि क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया है। राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए परम्परागत खेती विकास योजना चलाई जा रही है। खेतों को पर्याप्त सिंचाई जल उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश नि:शुल्क बोरिंग योजना तथा उत्तर प्रदेश किसान उदय योजना संचालित की जा रही है। इनके अतिरिक्त बीज ग्राम योजना के अंतर्गत किसानों को धान एवं गेहूं के बीज पर विशेष अनुदान दिया जा रहा है। पारदर्शी किसान सेवा योजना के अंतर्गत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को समुचित उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है। किसानों को ऋण के बोझ से मुक्त करने के लिए किसान ऋण मोचन योजना प्रारम्भ की गई। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। राज्य में अनाथ बच्चों को आसरा देने के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना प्रारम्भ की गई। महिला सशक्तिकरण के लिए भी सरकार अनेक योजनाएं चला रही है। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत निर्धन परिवारों की पुत्रियों को शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। उत्तर प्रदेश भाग्यलक्ष्मी योजना के अंतर्गत पुत्री की शिक्षा और विवाह के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त लोगों को घर बैठे बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बैंकिंग संवाददाता सखी योजना प्रारम्भ की गई है। इससे जहां लोगों को घर पर बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं, वहीं महिलाओं को भी रोजगार प्राप्त हुआ है।
read more30 की उम्र में अगर आपकी स्किन भी पड़ गयी है ढीली, तो अपनाएं स्किन टाइटइनिंग के ये घरेलू उपाय क्या आपकी त्वचा भी कम उम्र में ढीली होने लगी है?
read moreअभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने प्रदर्शनकारी ईरानी महिलाओं का समर्थन किया लॉस एंजिलिस। अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा जोनास ने ईरान की उन “साहसी महिलाओं” के प्रति समर्थन जताया है, जो 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत के मामले पर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। प्रियंका (40) ने प्रदर्शनकारी ईरानियों के लिए ‘इंस्टाग्राम’ पर एक संदेश पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने प्रदर्शनकारी महिलाओं की तारीफ की। इसे भी पढ़ें: मध्य प्रदेश में लंपी वायरस संक्रमित 86 प्रतिशत से ज्यादा मवेशी ठीक हुए, पिछले 10 दिन में कोई हताहत नहींअभिनेत्री ने लिखा, “मैं आपके साहस की तारीफ करती हूं। अपनी जान जोखिम में डालना, पितृसत्तात्मक व्यवस्था को चुनौती देना और अपने अधिकारों के लिए लड़ना आसान नहीं होता, लेकिन आप साहसी महिलाएं हैं जो हर दिन ऐसा कर रही हैं, चाहे इसकी कीमत कुछ भी हो।” उल्लेखनीय है कि सितंबर में ईरान की धर्माचार पुलिस ने हिजाब सही तरीके से नहीं पहनने के आरोप में अमीनी को हिरासत में ले लिया था, जिसके बाद वह थाने में गिर पड़ी और तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई थी। अमीनी की मौत के खिलाफ देश के दर्जनों शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की।
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