दशकों तक समाजवादी नेता शरद यादव ने राजनीति में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
Personality दशकों तक समाजवादी नेता शरद यादव ने राजनीति में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

दशकों तक समाजवादी नेता शरद यादव ने राजनीति में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका शरद यादव एक प्रमुख समाजवादी नेता थे, जो 70 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल कर चर्चा में आए और दशकों तक राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। वह लोकदल और जनता पार्टी से टूटकर बनी पार्टियों में रहे। वह अस्वस्थता के कारण अंतिम कुछ वर्षों में राजनीति में पूरी तरह सक्रिय नहीं थे। दिग्गज समाजवादी नेता ने बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। यादव को दिल्ली में उनके छतरपुर स्थित आवास पर अचेत होने के बाद अस्पताल ले जाया गया था। यादव 75 वर्ष के थे। यादव 1989 में वी.

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Sharad Yadav का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति : शरद पवार
National Sharad Yadav का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति : शरद पवार

Sharad Yadav का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति : शरद पवार मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने शुक्रवार को कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। दिग्गज समाजवादी नेता ने बृहस्पतिवार को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।यादव 75 वर्ष के थे।

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‘The New York Times’ के ‘ऑन पॉलिटिक्स’ समाचार पत्र के संपादक ब्लेक हाउंशेल का निधन
International ‘The New York Times’ के ‘ऑन पॉलिटिक्स’ समाचार पत्र के संपादक ब्लेक हाउंशेल का निधन

‘The New York Times’ के ‘ऑन पॉलिटिक्स’ समाचार पत्र के संपादक ब्लेक हाउंशेल का निधन वाशिंगटन। ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के ‘ऑन पॉलिटिक्स’ समाचार पत्र के संपादक और पूर्व में ‘पॉलिटिको’ में कई महत्वपूर्ण पद संभाल चुके जाने-माने पत्रकार ब्लेक हाउंशेल का मंगलवार को वाशिंगटन में निधन हो गया। वह 44 साल के थे। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के कार्यकारी संपादक जो काह्न और अखबार के प्रबंध संपादक कैरोलिन रेयान ने कर्मचारियों के लिए जारी एक संदेश में कहा कि हाउंशेल ‘एक समर्पित पत्रकार थे, जिन्होंने जल्दी ही खुद को हमारे प्रमुख राजनीतिक समाचार पत्र के शीर्ष लेखक और देश के राजनीतिक परिदृश्य के एक प्रतिभाशाली पर्यवेक्षक के रूप में स्थापित कर लिया।” काह्न और रेयान ने कहा, “व्यस्त चुनावी चक्र के दौरान वह राजनीतिक घटनाक्रम की रिपोर्टिंग में एक अनिवार्य और अंतरदृष्टि से भरपूर आवाज बनकर उभरे।”

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महबूबा ने कहा कि भाजपा की ‘धोखाधड़ी की राजनीति’ ने गृह मंत्रालय को भी नहीं बख्शा है
National महबूबा ने कहा कि भाजपा की ‘धोखाधड़ी की राजनीति’ ने गृह मंत्रालय को भी नहीं बख्शा है

महबूबा ने कहा कि भाजपा की ‘धोखाधड़ी की राजनीति’ ने गृह मंत्रालय को भी नहीं बख्शा है पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए बुधवार को कहा कि इसने अपनी ‘‘छल-कपट की राजनीति’’ के जरिये गृह मंत्रालय तक को नहीं बख्शा। वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में मंत्रालय की एक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दे रही थीं। महबूबा ने कई ट्वीट कर कहा, ‘‘स्तब्ध हूं कि भाजपा ने छल-कपट की राजनीति के जरिये गृह मंत्रालय तक को नीचा दिखाया है। इस रिपोर्ट से न केवल झूठ की बू आती है, बल्कि यह सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व वाले एक महत्वपूर्ण विभाग को भी बदनाम करती है।’’ रिपोर्ट के उस हिस्से पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, जिसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में पहले लोकतंत्र का मतलब केवल ‘तीन परिवार’ था, महबूबा ने भी भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) के सचिव जय शाह का परोक्ष संदर्भ दिया, जो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कम से कम हम तथाकथित ‘वंशवाद’ में आज जहां हैं, वहां खड़े होने के लिए हमने कड़ी मेहनत की है। हममें से किसी को बीसीसीआई के नेतृत्व के लिए ऊपर से नहीं भेजा गया है।’’ पार्टी की एक बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि यह दुखद है कि गृह मंत्रालय जम्मू-कश्मीर में चीजों को इतने हल्के में ले रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के बारे में कोई क्या कह सकता है!

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कुमारस्वामी ने अमित शाह से कहा कि यह कर्नाटक है, यहां आपकी राजनीति नहीं चलेगी
National कुमारस्वामी ने अमित शाह से कहा कि यह कर्नाटक है, यहां आपकी राजनीति नहीं चलेगी

कुमारस्वामी ने अमित शाह से कहा कि यह कर्नाटक है, यहां आपकी राजनीति नहीं चलेगी जनता दल (सेक्युलर) (जद-एस) नेता एच डी कुमारस्वामी ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर पलटवार करते हुए कहा कि उनकी राजनीति की शैली कर्नाटक में नहीं चलेगी। पूर्व मुख्यमंत्री का पलटवार क्षेत्रीय पार्टी के खिलाफ शाह की टिप्पणियों के बाद आया है, जिसमें उन्होंने इसे ‘एक परिवार का एटीएम’ कहा था और दावा किया था कि इसके लिए मतदान करना कांग्रेस के लिए मतदान करने जैसा होगा। आगामी विधानसभा चुनावों के बारे में कुमारस्वामी ने कहा कि चुनाव के लिए पार्टी उम्मीदवारों की दूसरी सूची मकर संक्रांति के बाद आने की उम्मीद है। पार्टी पहले ही 93 उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा कर चुकी है। कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘उन्होंने (शाह) कहा है कि (भाजपा का) किसी के साथ कोई गठबंधन नहीं होगा। कौन उनके दरवाजे पर गया था?

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भारत जोड़ो यात्रा के दौरान खाली झुनझुना ही बजा रहे हैं राहुल गांधी
Column भारत जोड़ो यात्रा के दौरान खाली झुनझुना ही बजा रहे हैं राहुल गांधी

भारत जोड़ो यात्रा के दौरान खाली झुनझुना ही बजा रहे हैं राहुल गांधी मैंने कहा था कि राहुल गांधी के पास यदि भाजपा का कोई वैकल्पिक राजनीतिक दर्शन होता तो देश के समस्त विरोधी दलों को एक सूत्र में बांधा जा सकता था। मुझे खुशी है कि राहुल गांधी ने इसी बात को दोहराया है। उन्होंने अपनी भारत-यात्रा के दौरान अपनी नौंवी पत्रकार परिषद में कहा है कि भाजपा को हराने के लिए विरोधी दलों के पास कोई अपनी दृष्टि होनी चाहिए। राहुल को शायद पता नहीं है कि हमारे देश के सभी विरोधी दलों के पास जबर्दस्त दृष्टि है। हर दल के पास दो-दो नहीं, चार-चार आंखें हैं। इन चारों आंखों से वे चारों तरफ देखते हैं और उन्हें बस एक ही चीज़ दिखाई पड़ती है। वह है- सत्ता, कुर्सी, गद्दी!

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महारानी एलिज़ाबेथ से सना मारिन तक, राजनीति में महिलाओं को सदा पूर्वाग्रह झेलना पड़ा
International महारानी एलिज़ाबेथ से सना मारिन तक, राजनीति में महिलाओं को सदा पूर्वाग्रह झेलना पड़ा

महारानी एलिज़ाबेथ से सना मारिन तक, राजनीति में महिलाओं को सदा पूर्वाग्रह झेलना पड़ा दो देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करने के लिएहोने वाली बैठक अंतरराष्ट्रीय राजनीति में सामान्य कवायद है। लेकिन न्यूज़ीलैंड की जैसिंडा अर्डर्न और फ़िनलैंड की सना मारिन को हाल ही में हुए एक शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए सफाई देनी पड़ी, जब एक रिपोर्टर ने पूछा कि क्या उनमें मुलाकात हुई क्योंकि वे दोनों युवा, महिला नेता हैं। प्रधानमंत्रियों के रूप में, अर्डर्न और मारिन ने वास्तव में राजनीति में बाधाओं को तोड़ा है। लेकिन इस सवाल में उनके प्रति जो पूर्वाग्रह प्रदर्शित किया गया, उनका एक लंबा इतिहास रहा है। युवा महिलाओं को हमेशा अपने अनुभव और शासन करने की क्षमता के बारे में संदेह का सामना करना पड़ा है। यह दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बारे में भी सच था। 70 वर्षों तक साप्ताहिक निजी सत्रों में 15 प्रधानमंत्रियों से पूछताछ करने से निश्चित रूप से उन्हें सरकार की चुनौतियों के बारे में जानकारी मिली। लेकिन जब उन्होंने पहली बार गद्दी संभाली, तो इतिहासकार केट विलियम्स के अनुसार, विंस्टन चर्चिल ने सोचा कि वह सिर्फ एक बच्ची है और इस भूमिका के लिए बहुत अनुभवहीन है। हमें यह सोचकर आश्चर्य होगा कि क्या उन्होंने 25 वर्षीय राजा के बारे में भी ऐसा ही कहा होता। ब्रिटेन के समाज का उम्र के साथ एक जटिल रिश्ता है। वृद्ध लोगों को बुद्धिमान और अनुभवी के रूप में देखा जाता है, लेकिन संपर्क से बाहर और मानसिक और शारीरिक रूप से गिरावट में भी। युवा लोगों को आविष्कारशील लेकिन अविश्वसनीय या यहां तक ​​कि लापरवाह के रूप में देखा जाता है। बेशक ये केवल सामान्यीकरण हैं। लेकिन उनका अभी भी कार्यस्थलों और राजनीतिक संस्थानों पर प्रभाव है, जिससे वृद्ध लोगों के लिए खुद को विशेषज्ञों के रूप में स्थापित करना आसान हो जाता है। यह आंशिक रूप से इस कारण से है कि ब्रिटेन की संसद में वृद्ध लोगों का वर्चस्व बना हुआ है। हाउस ऑफ लॉर्ड्स में यह निश्चित रूप से सच है, जहां 92 वंशानुगत पद हैं। वंशानुगत राजनीतिक पद अत्यंत जोखिम भरे और निश्चित रूप से अनुचित हैं। वे परिवारों की एक छोटी संख्या और विशेष रूप से पुरानी पीढ़ी को विशेषाधिकार देते हैं क्योंकि आप केवल तभी पात्र बनते हैं जब आपसे पहले समकक्ष (आमतौर पर आपके माता-पिता) मर जाते हैं। बाकी सदस्यों को उनके करियर को स्थापित करने के बाद नियुक्त किया जाता है, इसलिए हाउस ऑफ लॉर्ड्स में शुरूआत करने तक उम्र ज्यादा हो जाती है।इस साल औसत उम्र 71 थी। उम्र के लिहाज से हाउस ऑफ कॉमन्स थोड़ा युवा है - 2019 में सांसदों की औसत आयु 51 थी। पिछले 50 वर्षों में, हमने 60-69 आयु वर्ग के सांसदों की संख्या में 105 तक की वृद्धि देखी है। हालांकि 18-29 के बीच की आयु वाले भी बढ़े, लेकिन इस वर्ग में अब भी केवल 21 सांसद हैं। ब्रिटेन की संसद में युवतियां हाउस ऑफ कॉमन्स में कुछ युवा लोगों को संरक्षण प्राप्त है, विशेषकर महिलाओं को। उनके प्रति लापरवाह होने का पूर्वाग्रह शत्रुता के रूप में कायम है। दशकों से, सांसदों और अश्वेत सदस्यों (विशेष रूप से महिलाओं) ने मुझे साक्षात्कार में बार-बार बताया है कि सुरक्षा अधिकारी और यहां तक ​​​​कि अन्य राजनेता भी समझते हैं कि वे कर्मचारी या आगंतुक हैं। यदि आप पहले से ही इम्पोस्टर सिंड्रोम से जूझ रहे हैं, जो कि कई राजनेता करते हैं, तो कल्पना करें कि यह कितना अटपटा है, जब लोग यह मान लेते हैं कि आप वह नहीं हैं, जो दरअसल आप हैं। राजनीति में युवा महिलाएं भी अक्सर भयानक ऑनलाइन दुर्व्यवहार का शिकार होती हैं। सदन में 2018 में महिलाओं के प्रति द्वेष को घृणा अपराध मानने के लिए बहस में, 20 वर्ष की आयु में चुनी गई सबसे कम उम्र की सांसद म्हैरी ब्लैक ने स्पष्ट किया: इसे नरम शब्दों में नहीं बताया जा सकता कि दुर्व्यवहार कितना कामुक और गलत है .

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कांग्रेस की महिला यात्रियों ने राजनीति, परिवार व अपराधबोध के बीच संतुलन बनाया
National कांग्रेस की महिला यात्रियों ने राजनीति, परिवार व अपराधबोध के बीच संतुलन बनाया

कांग्रेस की महिला यात्रियों ने राजनीति, परिवार व अपराधबोध के बीच संतुलन बनाया कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल महिला यात्रियों के लिए यह सफर किसी चुनौती से कम नहीं हैं। कुछ अपने पति, बच्चों को छोड़कर आई हैं तो कुछ अन्य अपने बीमार माता पिता को।अपनों से इस अलगाव के कारण अपराधबोध उत्पन्न होता है, लेकिन परिवार का समर्थन उन्हें इससे लड़ने का हौसला देता है। इसी के बूते कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं का साहसी समूह ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का बखूबी सामना कर रहा है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 3,570 किलोमीटर की यात्रा में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मार्च करते हुए ये महिलाएं कंटेनरों में रह रही हैं और एक दिन में 20-25 किलोमीटर पैदल चल रही हैं। ये महिलाएं सशक्तिकरण और समर्थक पारिवारिक संरचनाओं की कहानियां लिख रही हैं जो ऐसा करने के लिए उन्हें सक्षम बनाते हैं। पांच महीने की राजनीतिक प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए कांग्रेस के इस दृढ़ संकल्प में उसका साथ देने के लिए उन्होंने इस दृढ़ इरादे और कठिन परिस्थिति का चुनाव किया है। कांग्रेस के पैदल मार्च में पूर्वोत्तर की एकमात्र महिला मणिपुर की ल्हिंकिम हाओकिप शिंगनाइसुई अपने पति और तीन बच्चों को घर छोड़कर यात्रा में शामिल हुई हैं, केरल की शीबा रामचंद्रन, जिनकी एक किशोर बेटी, बेटा और पति है और मध्य प्रदेश की प्रतिभा रघुवंशी हैं जिनके पिता एक आँख की सर्जरी के बाद अब स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं, भी मार्च करने वाली महिलाओं में शामिल हैं। अपने बच्चों से अलगाव के अपराध बोध से उबर रहीं रामचंद्रन ने एक दिन खुद को एक पेट्रोल पंप के शौचालय में बंद कर लिया, पानी चालू किया और खूब रोईं। इसकी वजह यह थी कि उनकी किशोर बेटी ने फोन करके पूछा था कि वह अपने पिता से सैनिटरी नैपकिन खरीदने के लिए कैसे कह सकती है और कांग्रेस कार्यकर्ता की मां के लिए यह संभालना बहुत मुश्किल था। उन्होंने पीटीआई-भाष से कहा, ‘‘मेरी बेटी को यात्रा पर जाने के लिए छोड़ना मेरे जीवन का सबसे कठिन निर्णय था। हम बेल्लारी में पैदल मार्च कर रहे थे जब उसने रोते हुए मुझे फोन किया।’’ रामचंद्रन (47) ने तब अपनी बेटी को फोन पर समझाया और इस मुश्किल सवाल से बाहर निकलने को कहा। रामचंद्रन ने कहा, ‘‘उस वक्त मेरे अंदर की मां ने खुद को बेबस और लाचार पाया। हालांकि अब मैं इस अपराधबोध से उबर रही हूं।’’ उन्होंने बताया, ‘‘बाद में मैंने उसके पिता को फोन किया और उसे पसंदीदा सूप पिलाने और बेटी के लिए सैनिटरी नैपकीन खरीदने को कहा।’’ उन्होंने कहा कि उसके पति भी दोनों बच्चों के लिए मां की भूमिका निभा रहे हैं। उनकी बेटी नौवीं कक्षा में तो बेटा 20 साल का है जो काम करता है। कई महिलाओं ने कहा कि नफरत का सामना करने के लिए उनके दृढ़ विश्वास का पालन करने का विकल्प स्पष्ट था। उन्होंने कहा कि यात्रा के 100 से अधिक दिनों में अगर उन्हें मौका दिया गया तो वे राहुल गांधी के नेतृत्व में इसे फिर से करेंगी और कहा कि उनका ‘‘डरो मत’’ का नारा उन्हें मीलों दूर तक ले जाता है।

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सेना को राजनीति में घसीटना गलत, सुरक्षा बलों के शौर्य पर सवाल उठाना राजनीतिक रूप से पड़ेगा भारी
Currentaffairs सेना को राजनीति में घसीटना गलत, सुरक्षा बलों के शौर्य पर सवाल उठाना राजनीतिक रूप से पड़ेगा भारी

सेना को राजनीति में घसीटना गलत, सुरक्षा बलों के शौर्य पर सवाल उठाना राजनीतिक रूप से पड़ेगा भारी कांग्रेस नेता राहुल गांधी का यह हक है कि वह भारत सरकार से सवाल पूछें, रोज सवाल पूछें और तमाम सवाल पूछें लेकिन यदि वह भारतीय सेना का मनोबल गिराने वाली बात करेंगे तो यह उनको शोभा नहीं देता। भारतीय सेना अपने शौर्य, साहस और कड़े अनुशासन के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है। देश में सीमाओं की सुरक्षा की बात हो या आपदाओं के समय राहत कार्यों में सहयोग की बात हो, भारतीय सेना ने हमेशा देश का सर गर्व से ऊँचा किया है। इसलिए यह कहना कि हमारी सेना पिट रही है, निंदनीय और शर्मनाक बयान है। 

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फुटबाल की राजनीति और राजनीति में फुटबाल (व्यंग्य)
Literaturearticles फुटबाल की राजनीति और राजनीति में फुटबाल (व्यंग्य)

फुटबाल की राजनीति और राजनीति में फुटबाल (व्यंग्य) फुटबाल मेरा पसंदीदा खेल है। इसके दो कारण हैं। एक तो यही कि यह दुनिया का सबसे लोकप्रिय खेल है और दूसरा एक बार इंटरव्यू में पूछे जाने पर सबसे पसंदीदा खेल का नाम फुटबाल मुँह से निकल गया था।  हालाँकि उस समय मेरा सबसे पसंदीदा खेल राजनीति था लेकिन उस समय तक राजनीति को खेल का दर्जा नहीं मिल पाया था। तब राजनीति करने की चीज मानी जाती थी, खेलने की नहीं यद्यपि उस समय भी ये दोनों शब्द मुझे एक दूसरे के पर्यायवाची लगते थे। आज भी राजनीति को खेल का औपचारिक दर्जा नहीं मिला है लेकिन राजनीति में खेल करने की स्वीकार्यता कई गुना बढ़ गई है। फुटबाल जितना मैदान पर खेला जाता है उतना ही मैदान से बाहर रणनीतिक स्तर पर खेला जाता है। आज जब मैं तटस्थ भाव से सोचता हूँ तो पाता हूँ कि फुटबाल और राजनीति में बहुत सी समानताएँ तो हैं ही, विरोधाभास भी बहुत है लेकिन दोनों ही मैदान और मैदान से बाहर पूरी शिद्दत के साथ खेले जाते हैं।

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UP-Bihar की महिलाओं की राजनीति में है ज्यादा हिस्सेदारी, 19 राज्यों में 10 फ़ीसदी से भी कम हैं महिला MLA
National UP-Bihar की महिलाओं की राजनीति में है ज्यादा हिस्सेदारी, 19 राज्यों में 10 फ़ीसदी से भी कम हैं महिला MLA

UP-Bihar की महिलाओं की राजनीति में है ज्यादा हिस्सेदारी, 19 राज्यों में 10 फ़ीसदी से भी कम हैं महिला MLA देश में महिला और पुरुषों के बीच बराबरी के बाद लगातार होती हैं। महिलाएं भी राजनीति में सक्रियता दिखाती हैं। वर्तमान में देखें तो कई महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्होंने कि राजनीति में खुद को साबित भी किया है। हालांकि, अभी भी महिलाओं की राजनीति में सक्रियता पुरुषों से की तुलना में काफी कम है। इन सबके बीच कानून मंत्रालय की ओर से एक आंकड़ा जारी किया गया है। इस आंकड़े में यह बताने की कोशिश की गई है कि किन राज्यों में कितनी महिलाएं सांसद या फिर विधायक हैं। कानून मंत्रालय के मुताबिक उत्तर प्रदेश और बिहार महिलाओं की राजनीति में भूमिका ज्यादा है। देश की संसद और ज्यादातर विधानसभाओं में भी महिलाओं की भागीदारी 15% से भी कम है। इतना ही नहीं, देश के ऐसे 19 राज्य भी हैं जहां विधानसभा में 10% से कम महिला विधायक हैं।  इसे भी पढ़ें: Bharat Jodo Yatra: नारी शक्ति को समर्पित यात्रा का 96वां दिन, बड़ी संख्या में महिलाएं यात्रियों का अभिवादन कर मार्च का हिस्सा बनी

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Maharashtra: राकांपा नेता आव्हाड ने ‘‘बदले की राजनीति’’ को लेकर राज्य सरकार पर  साधा निशाना
National Maharashtra: राकांपा नेता आव्हाड ने ‘‘बदले की राजनीति’’ को लेकर राज्य सरकार पर साधा निशाना

Maharashtra: राकांपा नेता आव्हाड ने ‘‘बदले की राजनीति’’ को लेकर राज्य सरकार पर साधा निशाना ठाणे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता एवं महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने आरोप लगाया कि राज्य में घृणा एवं बदले की राजनीति अप्रत्याशित रूप से बढ़ गई है। आव्हाड ने ठाणे में रविवार रात को राकांपा की एक रैली में कहा, ‘‘राज्य में पहले कभी ऐसी स्थिति नहीं देखी गई, जब इस तरह नफरत एवं प्रतिशोध राजनीति की गई हो।’’ आव्हाड को हाल में मारपीट के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था और छेड़छाड़ के एक आरोप में भी उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि भले ही उनके खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच के आदेश दे दिए जाएं, वह सत्ता पर बैठे लोगों के आगे समर्पण नहीं करेंगे।

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उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने साधा पीएम मोदी पर निशाना, ‘शॉर्टकट राजनीति’ को लेकर उठाया सवाल
National उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने साधा पीएम मोदी पर निशाना, ‘शॉर्टकट राजनीति’ को लेकर उठाया सवाल

उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने साधा पीएम मोदी पर निशाना, ‘शॉर्टकट राजनीति’ को लेकर उठाया सवाल मुंबई। शिवसेना के उद्धव ठाकरे नीत खेमे ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘शॉर्टकट राजनीति’’ से संबंधित टिप्पणी की आलोचना की और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा सरकार बनाए जाने के तरीके पर सवाल उठाया। प्रधानमंत्री ने 75,000 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन करने के बाद आज नागपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए उक्त टिप्पणी की।  मोदी ने कहा कि देश का विकास शॉर्टकट राजनीति के माध्यम से नहीं हो सकता और कुछ राजनीतिक दल देश की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं तथा लोगों को ऐसे राजनीतिक नेताओं और दलों को बेनकाब करना चाहिए। प्रधानमंत्री की टिप्पणी को हास्यास्पद करार देते हुए, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, अवैध एवं असंवैधानिक सरकार बनाने के लिए शॉर्टकट राजनीति संविधान, देश के संघीय ढांचे, लोकतंत्र और एजेंसियों को कमजोर कर रही है।  उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्काली शिवसेना में बगावत के बाद जून में बनी एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार के संदर्भ में चतुर्वेदी ने कहा, आप (भाजपा) चुनाव के लिए पांच साल तक इंतजार कर सकते थे और फिर अपना बहुमत हासिल कर सकते थे। लेकिन क्या आपने जो किया है वह शॉर्टकट लाभ, शॉर्टकट राजनीति का परिणाम है, जो संवैधानिक नैतिकता को नुकसान पहुंचाता है।  उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में वर्तमान में एक मुख्यमंत्री है जिसकी पार्टी पंजीकृत भी नहीं है। शिवसेना में विभाजन के बाद, शिंदे गुट बालासाहेबंची शिवसेना नाम से जाना जा रहा, जबकि ठाकरे के नेतृत्व वाला गुट शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) है।

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मोदी ने कहा देश को ‘शॉर्टकट’ राजनीति नहीं, सतत विकास की आवश्यकता है
National मोदी ने कहा देश को ‘शॉर्टकट’ राजनीति नहीं, सतत विकास की आवश्यकता है

मोदी ने कहा देश को ‘शॉर्टकट’ राजनीति नहीं, सतत विकास की आवश्यकता है नागपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश को ‘‘शॉर्टकट राजनीति’’ नहीं, बल्कि सतत विकास की आवश्यकता है। मोदी ने कुछ राजनीतिक दलों पर देश की अर्थव्यवस्था को नष्ट करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इससे पहले करदाताओं का धन भ्रष्टाचार एवं वोट बैंक की राजनीति में नष्ट हो जाता था। मोदी ने यहां 75,000 करोड़ रुपये की विभिन्न परियोजनाओं के लोकार्पण और उद्घाटन के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले आठ वर्ष में भारत में बुनियादी ढांचे के विकास में मानवीय पहलू शामिल रहा है। मोदी ने रविवार को यहां नागपुर-मुंबई ‘समृद्धि एक्सप्रेसवे’ के पहले चरण का उद्घाटन किया। कुल 520 किलोमीटर लंबा पहला चरण नागपुर को अहमदनगर जिले के शिरडी से जोड़ता है।

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Bangladesh: चुनाव से पहले बांग्लादेश में तेज हुई राजनीति, 14 साल से सत्ता से बाहर बीएनपी ने निकाली मेगा रैली
International Bangladesh: चुनाव से पहले बांग्लादेश में तेज हुई राजनीति, 14 साल से सत्ता से बाहर बीएनपी ने निकाली मेगा रैली

Bangladesh: चुनाव से पहले बांग्लादेश में तेज हुई राजनीति, 14 साल से सत्ता से बाहर बीएनपी ने निकाली मेगा रैली 14 साल से सत्ता से बाहर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने गोलाबाग मैदान में एक विशाल रैली का आयोजन किया। हजारों की संख्या में बीएनपी कार्यकर्ता और समर्थक आम चुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन की मंशा से एकत्र हुए। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राजधानी ढाका में एक कड़ी सुरक्षा क्षेत्र स्थापित किया गया है। पुलिस का कहना है कि उन्होंने रैली स्थल के आसपास सुरक्षा के कई स्तर बनाए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में, रैली के आसपास केंद्रित नया पल्टन इलाके में पुलिस और बीएनपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी। इस संघर्ष में मकबूल हुसैन नामक एक व्यक्ति की मौत हो गई। बाद में 1,000 से अधिक बीएनपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और पार्टी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर सहित कई वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। ढाका की एक अदालत ने उन्हें तोड़फोड़ के एक मामले में जेल भेज दिया है।इसे भी पढ़ें: Muslim's Multiple Wives: हिमंत बिस्व सरमा ने कहा- कई पत्नियां रखने की इजाजत नहीं दे सकतेभारी सुरक्षा तैनातसशस्त्र पुलिस बटालियन, रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), अंसार, ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस के सदस्यों और अन्य संगठनों के खुफिया कर्मियों सहित लगभग 30,000 कानून प्रवर्तन अधिकारी ड्यूटी पर हैं। पुलिस और गुप्तचर सूत्रों ने कहा कि उन्हें हिंसा और क्षति के सभी कृत्यों को समाप्त करने का आदेश दिया गया है। आरएबी हेलिकॉप्टर से शहर की पुलिसिंग भी कर रहा है।इसे भी पढ़ें: बंगालियों पर टिप्पणी करना पड़ा भारी, कोलकाता पुलिस से समन जारी होने के बाद परेश रावल ने मांगी माफीशीर्ष नेताओं को गिरफ्तार किया गयाबीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने गुलशन के एक होटल में स्थानीय नेताओं और विदेशी राजदूतों के सामने कहा, "

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हालिया तीनों जनादेशों ने देश की राजनीति की आगे की दशा-दिशा तय कर दी है
Column हालिया तीनों जनादेशों ने देश की राजनीति की आगे की दशा-दिशा तय कर दी है

हालिया तीनों जनादेशों ने देश की राजनीति की आगे की दशा-दिशा तय कर दी है भारत के दो राज्यों गुजरात एवं हिमाचल प्रदेश और एक नगर निगम दिल्ली के चुनावों में इन क्षेत्रों के मतदाताओं ने जो जनादेश दिया है उससे एक बार फिर सिद्ध हो गया है कि भारत में लोकतंत्र कायम है और इसकी जीवंतता के लिये मतदाता जागरूक है। मतदाता को ठगना या लुभाना अब नुकसान का सौदा है। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी ने कीर्तिमान गढ़े, तो हिमाचल में कांग्रेस ने नया जीवन पाया, दिल्ली में आम आदमी पार्टी को खुश होने का मौका मिला। इन चुनावी नतीजों ने जाहिर कर दिया कि आज के मतदाता किसी भी पार्टी के दबाव में नहीं हैं। ये नतीजे जहां लोकतंत्र की सुदृढ़ता को दर्शा रहे हैं, वहीं देश की राजनीति का नई राहों की ओर अग्रसर होने के संकेत दे रहे हैं। इन चुनाव नतीजों से यह तय हो गया कि भारत विविधता में एकता एवं विभिन्न फूलों का एक ‘खूबसूरत गुलदस्ता’ है।

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अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी वोट बैंक की राजनीति के चलते आतंकी हमलों की निंदा नहीं की
National अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी वोट बैंक की राजनीति के चलते आतंकी हमलों की निंदा नहीं की

अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी वोट बैंक की राजनीति के चलते आतंकी हमलों की निंदा नहीं की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस के सत्ता में रहने के दौरान अक्सर आतंकी हमले होते थे और पाकिस्तानी आतंकवादी भारतीय सैनिकों की हत्या किया करते थे, लेकिन तत्कालीन सत्तारूढ़ दल ने ‘वोट बैंक’ की राजनीति के चलते कभी इसकी निंदा नहीं की। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले में मारे गये लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शाह ने कहा कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार रहने के दौरान इस तरह के हमले होना असंभव है। उन्होंने भावनगर जिले के तालजा कस्बे में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक उम्मीदवार के पक्ष में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आज 26/11 हमले की बरसी है। इस दिन (2008 में) पाकिस्तानी आतंकवादियों ने मुंबई में 164 लोगों की हत्या कर दी थी। इस तरह के हमले कांग्रेस के शासन के दौरान अक्सर हुआ करते थे, लेकिन आज के समय में 26/11 जैसा आतंकी हमला होना संभव नहीं है क्योंकि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं।’’ गुजरात में दो चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के तहत प्रथम चरण में एक दिसंबर को तालजा और 88 अन्य सीट पर वोट डाले जाएंगे। शाह ने कहा, ‘‘सोनिया (गांधी) और (पूर्व प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक 10 वर्ष सत्ता में थे। उनके शासन के दौरान पाकिस्तानी आतंकवादी अक्सर भारत में प्रवेश किया करते थे और हमारे सैनिकों की हत्या करते थे तथा उनके सिर काट देते थे। इसके बावजूद भी कांग्रेस ने एक शब्द तक नहीं कहा। क्यों?

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टोपी पहनाने वाले (व्यंग्य)
Literaturearticles टोपी पहनाने वाले (व्यंग्य)

टोपी पहनाने वाले (व्यंग्य) नेताजी सेक्रेटरी के रग-रग से वाकिफ़ थे। उन्होंने सेक्रेटरी की चिंता का कारण पूछा। सेक्रेटरी ने कहा– साहब!

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केजरीवाल की भविष्य की राजनीति तय करेंगे गुजरात और MCD चुनाव के परिणाम, हार हुई तो लगेगा बड़ा झटका
National केजरीवाल की भविष्य की राजनीति तय करेंगे गुजरात और MCD चुनाव के परिणाम, हार हुई तो लगेगा बड़ा झटका

केजरीवाल की भविष्य की राजनीति तय करेंगे गुजरात और MCD चुनाव के परिणाम, हार हुई तो लगेगा बड़ा झटका दिल्ली के बाद पंजाब विधानसभा में मिली जीत के बाद से आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल के हौसले बुलंद है। यही कारण है कि अलग-अलग राज्यों में आप की ओर से चुनाव लड़ने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसी कड़ी में पार्टी गुजरात में पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा दिल्ली में मौजूदा नगर निगम का भी चुनाव अरविंद केजरीवाल के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसे अरविंद केजरीवाल के राष्ट्रीय आकांक्षाओं से भी जोड़कर देखा जा रहा है। यही कारण है कि इस बात को भी माना जा रहा है कि अगर गुजरात और एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहता है तो यह अरविंद केजरीवाल के लिए एक बड़ा झटका होगा। लेकिन यह बात भी सत्य है कि अगर गुजरात और एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को सफलता मिलती है तो केजरीवाल को रोकना नामुमकिन होगा। इसे भी पढ़ें: MCD Elections: सत्येंद्र जैन के बहाने नड्डा का AAP पर तंज, केजरीवाल ने तो जेल में भी मसाज का इंतजाम कर दिया

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गुजरात चुनाव में ‘परिवारवाद की राजनीति’ से कोई भी दल नहीं बच पाया
Politics गुजरात चुनाव में ‘परिवारवाद की राजनीति’ से कोई भी दल नहीं बच पाया

गुजरात चुनाव में ‘परिवारवाद की राजनीति’ से कोई भी दल नहीं बच पाया राजनीति में परिवारवाद एक बड़ी बुराई है और भाजपा इसके खिलाफ आक्रामकता से लड़ती रही है। लेकिन गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए विभिन्न दलों की ओर से उतारे गये उम्मीदवारों के नामों पर गौर करें तो वह कहावत याद आ जाती है कि हाथी के दांत दिखाने के कुछ और होते हैं और खाने के कुछ और। देखा जाये तो वंशवाद एक ऐसी परम्परा भी बन चुकी है जिसे हर चुनाव में निभाया जाता है क्योंकि सभी राजनीतिक दलों की पहली प्राथमिकता यही होती है कि चुनाव जीतने की क्षमता रखने वाले को उम्मीदवार बनाया जाये भले ही वह किसी भी पृष्ठभूमि का क्यों ना हो।

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भारत जोड़ो यात्रा राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक क्रांतिकारी क्षण है, एक कार्यक्रम नहीं: जयराम रमेश
National भारत जोड़ो यात्रा राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक क्रांतिकारी क्षण है, एक कार्यक्रम नहीं: जयराम रमेश

भारत जोड़ो यात्रा राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक क्रांतिकारी क्षण है, एक कार्यक्रम नहीं: जयराम रमेश कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को कहा कि भारत जोड़ो यात्रा राष्ट्रीय राजनीति और पार्टी के लिए एक ‘‘क्रांतिकारी क्षण’’ है तथा इसे चुनावी सफलता में तब्दील करने में कुछ समय लगेगा। महाराष्ट्र में पदयात्रा के अंतिम दिन संवाददाताओं को संबोधित करते हुए रमेश ने दावा किया कि लोग एक विकल्प की तलाश कर रहे हैं तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से निजात पाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस एकमात्र विचारधारा है, जो भाजपा और आरएसएस का विकल्प प्रस्तुत करती है। भारत जोड़ो यात्रा राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक क्रांतिकारी क्षण है, एक कार्यक्रम नहीं।’’ रमेश ने कहा कि यात्रा की सफलता को चुनावी सफलता में तब्दील करने में कुछ वक्त लगेगा। उन्होंने कहा कि यात्रा महाराष्ट्र में 21 और 22 नवंबर को रुकी रहेगी और 23 नवंबर को मध्य प्रदेश की ओर बढ़ेगी। पार्टी ने इससे पहले कहा था कि यात्रा रविवार को मध्य प्रदेश की ओर बढ़ेगी और बुरहानपुर में रात्रि विश्राम करेगी। कांग्रेस के पहले के कार्यक्रम के मुताबिक, यात्रा को सोमवार को विश्राम दिया जाएगा। चुनाव प्रचार के लिए राहुल गांधी के सोमवार को गुजरात का दौरा करने का कार्यक्रम है। रमेश ने यात्रा के लिए अत्यधिक अच्छी व्यवस्था करने को लेकर कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के नेतृत्व का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि पार्टी की प्रदेश इकाई यात्रा की सफलता के जरिये 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सफल होने के लिए राज्य के सभी छह राजस्व संभागों में छह रैलियां आयोजित करेगी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस का गढ़ रहा है और यात्रा की सफलता पार्टी के चुनाव चिह्न ‘हाथ’ का राज्य में हर जगह नजर आना सुनिश्चित करेगी। रमेश ने कहा कि महिलाएं, युवक और किसान यात्रा के मुख्य भागीदार हैं।

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15 साल तक स्पीकर रहीं नैन्सी पेलोसी का पद से हटना अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है
Currentaffairs 15 साल तक स्पीकर रहीं नैन्सी पेलोसी का पद से हटना अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है

15 साल तक स्पीकर रहीं नैन्सी पेलोसी का पद से हटना अमेरिकी राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है अमेरिका में डेमोक्रेट सांसद और सदन की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ऐलान करते हुए कहा है कि वह हाउस लीडरशिप और स्पीकरशिप त्याग रही हैं। 15 साल तक इस पद पर रहीं नैन्सी पेलोसी के इस ऐलान से दुनिया हैरान है क्योंकि वह इतने लंबे समय तक अमेरिका में प्रमुख राजनीतिक पद पर बनी रहीं साथ ही विदेशों में भी उन्होंने विभिन्न मुद्दों को लेकर जिस तरह अपने देश का प्रतिनिधित्व किया उसका व्यापक प्रभाव रहा था। हाल ही में जब चीन की धमकियों को नजरअंदाज करते हुए नैन्सी पेलोसी ताइवान के दौरे पर गयी थीं तो पूरी दुनिया आश्चर्य से देखती रह गयी थी।

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पुरानी पेंशन योजना क्यों अर्थशास्त्र और राजनीति दोनों के लिहाज से गलत है? नई पेंशन स्कीम से विपक्ष को क्या है ऐतराज
Mri पुरानी पेंशन योजना क्यों अर्थशास्त्र और राजनीति दोनों के लिहाज से गलत है? नई पेंशन स्कीम से विपक्ष को क्या है ऐतराज

पुरानी पेंशन योजना क्यों अर्थशास्त्र और राजनीति दोनों के लिहाज से गलत है?

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केम्पेगौड़ा प्रतिमा उद्घाटन समारोह को लेकर हो रही राजनीति, कुमारास्वामी ने भाजपा पर लगाया बड़ा आरोप
National केम्पेगौड़ा प्रतिमा उद्घाटन समारोह को लेकर हो रही राजनीति, कुमारास्वामी ने भाजपा पर लगाया बड़ा आरोप

केम्पेगौड़ा प्रतिमा उद्घाटन समारोह को लेकर हो रही राजनीति, कुमारास्वामी ने भाजपा पर लगाया बड़ा आरोप जनता दल सेक्युलर ने आरोप लगाया है कि पूर्व प्रधानमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा को केम्पेगौड़ा की प्रतिमा के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था। आपको बता दें कि 11 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केम्पेगौड़ा की प्रतिमा का उद्घाटन किया था। दूसरी ओर भाजपा ने दावा किया है कि पूर्व प्रधानमंत्री को राज्य सरकार की ओर से आमंत्रित किया गया था। इन सबके बीच कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी का बड़ा बयान आया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा इस पूरे मुद्दे पर राजनीति कर रही है।  इसे भी पढ़ें: दिसंबर से G-20 की अध्यक्षता करेगा भारत, समिट में हिस्सा लेने के लिए सोमवार को इंडोनेशिया जाएंगे PM

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